शिमला: हिमाचल प्रदेश में पहले प्राइवेट अस्पतालों में हिमकेयर योजना की सुविधा बंद की गई और अब सरकारी अस्पतालों में भी गरीब मरीजों को आयुष्मान कार्ड और हिमकेयर योजना के तहत इलाज का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसकी वजह है कि आर्थिक संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार मुफ्त इलाज और निशुल्क दवाइयों के लिए अस्पतालों को पेमेंट नहीं कर पा रही है. जिसकी वजह से मरीज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.
हिमाचल प्रदेश में अब गरीब मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. पूर्व की जयराम सरकार द्वारा शुरू की गई हिमकेयर योजना अब हाफने लगी है. अस्पतालों में अब गंभीर बीमारियों के निशुल्क इलाज के लिए मरीजों को सुविधा नहीं मिल रही है. आर्थिक संकट से जूझ रही कांग्रेस सरकार मुफ्त इलाज और निशुल्क दवाइयों का पेमेंट नहीं दे पा रही है. इससे आयुष्मान और हिमकेयर कार्ड के तहत मुफ्त में होने वाली सर्जरी रोक दी गई है.
प्रदेश के ज्यादातर अस्पतालों में इक्का-दुक्का मरीजों की ही मुफ्त सर्जरी हो रही है. इसी तरह जन औषधि केंद्रों में मरीजों को ज्यादातर निशुल्क दवाइयां नहीं मिल रही. अस्पतालों को दवाइयां और पेसमेकर जैसे उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनियों ने इनकी सप्लाई बंद कर दी है. इससे मरीज दर-दर की ठोकने खाने को मजबूर हो गए हैं और ओपन मार्केट से दवाइयां खरीद रहे हैं. सरकार के पास लगभग 310 करोड़ रुपए से ज्यादा की पेमेंट पेंडिंग हो गई है.
बताया जा रहा है कि जिन कंपनियों ने सामान और दवाई की सप्लाई बंद कर दी है, उनका पेमेंट चुकाने के बजाय दूसरी कंपनी को ऑर्डर देकर सामान और दवाई मंगाई जा रही है. इससे आईजीएमसी सहित प्रदेश के दूसरे हॉस्पिटल में हिमकेयर और आयुष्मान योजना के काउंटर बंद करने की नौबत आ गई है. जन औषधि केंद्रों को निशुल्क दवाइयां सप्लाई करने वाले ज्यादातर ड्रग सप्लायर ने आपूर्ति बंद कर दी है.