शिमला: वर्ष 1994 की बात है. पटियाला घराने की शान और हिमाचल के हीरे सोमदत्त बट्टू पाकिस्तान के कराची में एक संगीत समारोह में अपनी गायकी का जादू बिखेर रहे थे. महफिल में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, सरकार के बड़े हुक्मरान और आला अफसर मौजूद थे. सोमदत्त बट्टू मौके के अनुसार गजलों से महफिल को तालियां बजाने पर मजबूर कर रहे थे. तभी महफिल में एक शख्स ने उठकर कहा, सोमदत्त साहब, गजलें तो हम अक्सर सुनते रहते हैं. आप हमें मीरा या तुलसी बाबा का कोई भजन सुनाएं. संगीत की कोई सरहद नहीं होती. इस पर सोमदत्त बट्टू ने मीरा का भजन-माई री मैंने गोबिंद लीनो मोल... सुनाया. महफिल झूम उठी. ये वाकया सोमदत्त बट्टू ने ईटीवी भारत के साथ गुड़गांव से मोबाइल पर हुई चर्चा का दौरान सुनाया.
सोमदत्त बट्टू होंगे पद्मश्री से सम्मानित: इन्हीं सोमदत्त बट्टू को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान किया है. छियासी बरस में भी युवाओं जैसी सक्रियता वाले सोमदत्त बट्टू इन दिनों गुड़गांव में अपने बच्चों के पास रह रहे हैं. उन्हें देर रात 11 बजे के बाद पता चला कि पद्मश्री के लिए उनका नाम भी है. तब से निरंतर देश और विदेश में फैले उनके शिष्य और प्रशंसक उन्हें बधाई दे रहे हैं. सोमदत्त बट्टू ने ईटीवी से बातचीत में कुछ संस्मरण सुनाए.
पद्मश्री से सम्मानित होंगे हिमाचल के संगीत सितारे सोमदत्त बट्टू विदेशों में लहराया भारतीय संगीत का परचम:शिमला जिला के ब्योलिया के समीप एक गांव में जन्में सोमदत्त बट्टू की संगीत यात्रा वास्तव में अनुकरणीय और अद्भुत है. वे बताते हैं कि उनके शिष्य देश और विदेश में भारतीय संगीत का परचम लहरा रहे हैं. बट्टू कहते हैं कि भारतीय संगीत और इस महान देश की संस्कृति का प्रसार सुदूर देशों तक है. भारत के संगीत और संस्कृति की पहुंच का एक किस्सा सुनाते हुए वे कहते हैं-एक बार वे त्रिनिदाद में थे. वहां होटल में पहुंचे तो अनूप जलोटा के भजन लगे हुए थे. मैं दंग रह गया कि हमारे भजन, हमारा संगीत और संस्कृति कहां तक पहुंचे हैं.
सोमदत्त बट्टू के शिष्य:सोमदत्त बट्टू भारतीय विदेश मंत्रालय के तहत इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस के सदस्य रहे हैं. उन्होंने अपनी गायन कला का जादू बिखेरने के लिए कई देशों की यात्रा की है. हिमाचल में लोक गायन के सम्राट कहे जाने वाले डॉ. केएल सहगल, उनकी संगीत साधिका बेटी डॉ. सविता सहगल सहित कई बड़े नाम सोमदत्त बट्टू की छत्रछाया में निखरे हैं. मशहूर गायक प्रवीण जरेट, गोपाल भारद्वाज और इस समय एचपीयू के संगीत विभाग के चेयरमैन डॉ. जीतराम शर्मा इन्हीं के तराशे हुए हीरे हैं. हाल ही में अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आईजी रैंक के पुलिस अफसर हिमांशु के लिखे भजन को सोमदत्त बट्टू ने गाया था.
सोमदत्त बट्टू की संगीत यात्रा: शिमला जिला से संबंध रखने वाले सोमदत्त बट्टू को संगीत नाटक अकादमी सम्मान भी मिल चुका है. पटियाला घराने के शास्त्रीय गायक सोमदत्त बट्टू का जन्म 11 अप्रैल 1938 को हुआ है. वे इस समय 86 साल के हैं, लेकिन युवाओं सरीखे उत्साह के साथ खूब सक्रिय हैं. शिमला के समीप ब्योलिया के होरी गांव के रहने वाले सोमदत्त बट्टू को संगीत विरासत में ही मिला था. इनके पिता पंडित रामलाल बट्टू विख्यात शाम चौरासी घराने से संबंध रखते थे. इनके पिता पंजाब के नकोदर में कार्य के सिलसिले में रहते थे. नकोदर वैसे भी संगीत की धरती है.
2022 में मिला संगीत नाटक अकादमी सम्मान: पंजाब में बट्टू ने महान संगीत साधक विष्णु दिगंबर पलुस्कर के शिष्य कुंजलाल शर्मा से सुर साधना सीखना शुरू की. यहां उन्होंने पटियाला घराने की गायकी को अपनाया. सोमदत्त बट्टू की संगीत यात्रा सात दशक का विस्तार लिए हुए है. वे दशकों तक हिमाचल के कई कॉलेजों में संगीत प्राध्यापक के रूप में नई पौध को तलाशते और तराशते रहे. विदेश मंत्रालय की संगीत समिति के सदस्य के रूप में उन्होंने कई देशों की यात्रा की और अपनी गायन कला से संगीत प्रेमियों को निहाल किया. उन्हें संगीत नाटक अकादमी सम्मान 2022 में मिला है. इसके अलावा सोमदत्त बट्टू को 2016 में हिमाचल गौरव सम्मान, पंजाब संगीत रत्न अवार्ड, दिल्ली सरकार की तरफ से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित अनगिनत सम्मानो से अलंकृत किया जा चुका है. सोमदत्त बट्टू को पद्मश्री सम्मान दिए जाने की घोषणा से उनके अनेक शिष्यों में खुशी की लहर है.
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