शिमला:आपने ये कहावत जरूरी सुनी होगी सावधानी हटी दुर्घटना घटी. यह कहावत सड़क हादसों पर सटीक बैठती है. भारत में हर रोज सड़क हादसों में कई लोग अपनी जान गंवाते हैं. वर्तमान में सड़कों पर बढ़ती वाहनों की संख्या और जनसंख्या बढ़ने से यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.
मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क हादसों के अलग-अलग कारण होते हैं. मैदानी इलाकों में जहां वाहनों की संख्या अधिक होती है. वहीं, पहाड़ी इलाकों में घुमावदार अंधे मोड़ और संकरी सड़कों पर गाड़ी चलाना जोखिम भरा होता है. हालांकि ज्यादातर सड़क हादसों का कारण लापरवाही होता है. वहीं, कई बार ये सड़क हादसे वाहन में किसी तकनीकी खराबी के कारण भी पेश आते हैं.
हाल ही में हिमाचल के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में बड़ा सड़क हादसा पेश आया. यहां एक बस अनियंत्रित होकर 150 फीट गहरी खाई में गिर गई. इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई. वहीं, 27 लोग घायल हो गए. हिमाचल में भी अक्सर इस तरह के बड़े हादसे सामने आते रहते हैं. पहाड़ों में होने वाले इन हादसों में अक्सर जानी नुकसान अधिक होता है.
बीते 23 सालों में गई 22 हजार से अधिक जान
हिमाचल में सड़क हादसों में बीते 23 सालों में 22 हजार 216 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. अगर औसतन बात की जाए तो प्रतिवर्ष 965 लोग हिमाचल की सड़कों में हर साल सड़क हादसों में अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं जो कि छोटे से पहाड़ी राज्य के लिए एक बड़ा आंकड़ा है. इसके अलावा घायलों की संख्या लाखों में है. औसतन हिमाचल में हर साल सड़क हादसों में 5 हजार से अधिक लोग घायल हो जाते हैं.