हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड के कर्मचारियों अभियंताओं और पेंशनर्स ने सरकार की युक्तिकरण नीति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हमीरपुर जिला में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों व पेंशनर्स ने हजारों की संख्या में उपस्थिति दर्ज करवाते हुए प्रदेश सरकार और प्रबंधन बोर्ड के द्वारा अपनाई गई नीतियों को लेकर विरोध जताया.
टाउन हॉल में आयोजित महापंचायत के दौरान हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड की सात यूनियन के पदाधिकारियों, दो पेंशनर्स यूनियन के और आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन के सदस्यों ने भाग लिया. हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के द्वारा बनाई गई ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने महापंचायत में प्रदेश सरकार के सामने अपनी सात सूत्रीय मांगें रखीं. बिजली बोर्ड के कर्मचारी नेता हीरालाल वर्मा ने बोर्ड की सात मांगों को लेकर जानकारी दी.
कर्मचारियों की मांगें
- बिजली बोर्ड में बहाल की जाए OPS
- बिजली बोर्ड में युक्तिकरण के नाम पर 700 से अधिक सरप्लस पदों को किया जाए बहाल
- बिजली बोर्ड में की जाएं नई भर्तियां
- बिजली बोर्ड से रिटायर कर्मचारियों के लाभ और पेंशन की बकाया राशि की अदायगी
- बिजली बोर्ड के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बनाई जाए स्थायी नीति और आउटसोर्स भर्ती हो बंद
- बिजली बोर्ड में सबस्टेशन व पावर हाउस की ऑपेरशन एंड मेंटेनेंस आउटसोर्सिंग हो बंद
वहीं, हिमाचल प्रदेश विद्युत रिटायर कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा ने कहा "महापंचायत के दौरान बिजली बोर्ड से रिटायर कर्मचारियों को बीते दो वर्षों से लीव एनकेशमेंट सहित अन्य वित्तीय लाभ नहीं मिल पा रहे हैं जिन्हें जल्द देने की मांग की गई है. प्रदेश सरकार वित्तीय बोझ की बात कर कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों की अनदेखी कर रही है लेकिन सरकार के द्वारा आम जनता को दी जाने वाली सब्सिडी के पैसे भी बिजली बोर्ड को नहीं दिए जा रहे हैं."
![हमीरपुर में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और पेंशनर्स की महापंचायत](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/hp-hmr-01-hamirpurelectricityprotestnews-avb-hp10016_11022025133237_1102f_1739260957_177.jpg)
सरकारी विभागों में करोड़ों रुपये का बिजली बिल बकाया
कुलदीप खरवाड़ा ने कहा हिमाचल प्रदेश में "बिजली बोर्ड का 442 करोड़ रुपये रेवेन्यू पेंडिंग चल रहा है जिसमें अकेले 148 करोड़ रुपये IPH का और कुल मिलाकर सभी सरकारी विभागों का 178 करोड़ रुपये का रेवेन्यू पेंडिंग चल रहा है. ये सरकार की मिसमैनेजमेंट है. इसी वजह से बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिती खराब है."
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