लाहौल-स्पीति: हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता देश-विदेश में विख्यात है. इस सुंदरता को निहारने के लिए हर साल लाखों सैलानी प्रदेश के विभिन्न इलाकों का रुख करते हैं. हिमाचल के पर्यटन को मजबूती देने में पहाड़ खोदकर बनाई गई टनलें भी अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं. किरतपुर-मनाली फोरलेन बनने के बाद जगह-जगह टनलों का निर्माण हुआ. वहीं, कुछ जगहों पर अभी भी टनल का निर्माण कार्य चला हुआ है. ऐसे में किरतपुर से मनाली पहुंचना अब काफी आसान हो गया है. प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति में भी अटल टनल पर्यटन व्यवसाय को ऊंचाइयों पर ले जाने में अहम सिद्ध हुई है.
जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी मनाली में बनी अटल टनल लाहौल-स्पीति जिला के सिस्सू के समीप निकलती है. इस टनल के बनने से लाहौल घाटी की पूरी तस्वीर ही बदल गई है. अटल टनल के बनने से शीत मरुस्थल समझे जाने वाले जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति तक पर्यटकों की पहुंच सुगम हो गई है. पांच साल पहले तक जो पर्यटक कुल्लू-मनाली से आगे जाने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. अब इस टनल से दूसरे छोर तक पहुंचने के लिए उत्सुक रहता है. जैसे ही वाहन अटल टनल में प्रवेश करते हैं तो पर्यटक रोमांचित हो जाते हैं. अटल टनल की लंबाई 9.02 किलोमीटर है.
अटल टनल बनने से कम हुई लाहौल घाटी की दूरी
अटल टनल बनने के बाद लाहौल घाटी की दूरी कम हुई है. अटल टनल बनने से पहले मनाली से सिस्सू तक पहुंचने के लिए 6 घंटे लग जाते थे. वहीं, अटन टनल बनने के बाद सिस्सू पहुंचने के लिए अब मात्र 45 मीनट लगते हैं. इसके अलावा मनाली से लाहौल-स्पीति के जिला मुख्यालय केलांग पहुंचने के लिए अटल टनल बनने से पहले जहां आठ घंटे लगते थे. वहीं, ये दूरी अब कम होकर मात्र डेढ़ घंटे की रह गई है.
लाहौल में बढ़ी पर्यटकों की संख्या
अटल टनल के बनने से पहले लाहौल-स्पीति जाने वाले पर्यटकों की संख्या दो लाख से कम हुआ करती थी. आज पर्यटकों की संख्या साढ़े 10 लाख पार कर चुकी है. हिमाचल में समय की बचत के लिए बनी सुरंगें वाहनों की आवाजाही के अतिरिक्त पर्यटन के लिए रोमांच का जरिया बन चुकी हैं.
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किरतपुर से मनाली तक हैं आठ टनल
किरतपुर-मनाली फोरलेन पर बिलासपुर, मंडी व कुल्लू जिलों तक आठ सुरंगें पर्यटकों को रोमांचित करती हैं. अब सैलानी वीकेंड पर भी कुल्लू मनाली और लाहौल घाटी का रुख कर रहे हैं जिससे यहां के पर्यटन कारोबार को काफी फायदा पहुंचा है. जिला लाहौल-स्पीति की बात करें तो यहां की आबादी करीब 34 हजार है और साल 2024 में ही यहां पर 10 लाख से अधिक सैलानी आए हैं. ऐसे में इतनी कम आबादी में इतने सैलानियों का आना पर्यटन कारोबार की दृष्टि से सुखद भविष्य की ओर इशारा करता है. पर्यटन कारोबार से जुड़कर लोगों को इसका काफी फायदा भी हो रहा है.
लाहौल घाटी में आने वाले सैलानियों के आंकड़े
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2018 में लाहौल-स्पीति में 1.72 लाख सैलानी, साल 2019 में 1.18 लाख, साल 2020 में 15 हजार, साल 2021 में 70 हजार, साल 2022 में 2 लाख, साल 2023 में 8.23 लाख, साल 2024 में 10 लाख 55 हजार सैलानी आए हैं.
टनल बनने के बाद विकसित हुए अन्य पर्यटन स्थल
मनाली में अटल टनल के बनने के बाद मनाली के आसपास हामटा और धुंधी नए पर्यटन स्थल विकसित हो रहे हैं. इसके अलावा मनाली में अंजनी महादेव, कोठी, नग्गर, गुलाबा और सोलंगनाला में भी सुविधाओं का विस्तार हुआ है. पहले रोहतांग दर्रा खुलने तक आगे पहुंचना संभव नहीं होता था लेकिन अटल बनने के बाद अब सर्दियों में भी लाहौल घाटी में लोगों की आवाजाही संभव हो पाई है.
साल 2020 में हुआ था अटल टनल का उद्घाटन
गौर रहे कि अटल टनल का उद्घाटन साल 2020 के अक्टूबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इससे पहले रोहतांग दर्रा ही लाहौल घाटी पहुंचने का एकमात्र साधन था. ऐसे में सर्दियों में बर्फबारी के चलते रोहतांग दर्रा 6 माह के लिए बंद हो जाता था और हेलीकॉप्टर के माध्यम से लोगों को कुल्लू आने-जाने के लिए सरकार के द्वारा सुविधा उपलब्ध करवाई जाती थी.
वहीं, सर्दियों के मौसम में बीमार लोगों के लिए यह दर्रा मुसीबत बन जाता था. समय पर हेलीकॉप्टर सेवा ना मिलने के चलते कई लोगों की जान भी चली जाती थी. ऐसे में अटल टनल बनने से जहां घाटी में पर्यटन कारोबार व लोगों की आवाजाही आसान हुई है तो वहीं अब स्थानीय लोगों को समय पर चिकित्सा सुविधा भी मिल रही है.
मनाली होटल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मुकेश ठाकुर ने बताया "पहले जहां सैलानी मनाली में तीन दिन ठहरते थे. वहीं अब पर्यटकों का ठहराव मनाली में अधिक हो गया है. इससे मनाली के पर्यटन कारोबार को भी फायदा हुआ है. सैलानी पहले मनाली के पर्यटन स्थलों में ही घूमते थे और अब आसानी से लाहौल घाटी के पर्यटन स्थलों का भी रुख कर पा रहे हैं. लाहौल घाटी में सर्दियों के दौरान सिस्सू और कोकसर सैलानियों की पहली पसंद है क्योंकि यहां पर लोगों को बर्फ देखने को मिल रही है. इसके अलावा उदयपुर, जिस्पा, केलांग और अन्य इलाकों का भी सैलानी रुख कर रहे हैं."
लाहौल-स्पीति जिला के उपायुक्त राहुल कुमार ने बताया "सर्दियों में बर्फबारी के दौरान बंद पड़ी सड़कों को खोलने के बारे में भी लोक निर्माण विभाग और बीआरओ के अधिकारी लगातार काम कर रहे हैं. बर्फबारी के तुरंत बाद यहां पर सड़कों को खोल दिया जाता है सैलानियों को पर्यटन स्थलों पर सभी सुविधाएं मिल रही हैं. अटल टनल बनने से यहां सैलानियों की संख्या में वृद्धि हुई है जिससे घाटी के लोगों को घर द्वार पर रोजगार मिल रहा है"