शिमला: बिलासपुर में गोविंद सागर झील में अवैध डंपिंग को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. डंपिंग के दोषी अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में विफल रहने का अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश जारी किए हैं कि वह उन सहायक पर्यावरण इंजीनियर्स का ब्यौरा रिकॉर्ड पर रखे, जो उस समय काम पर थे, जब गोविंद सागर झील या उसकी सहायक नदियों सहित वनों या सार्वजनिक भूमि पर अवैध रूप से मलबा डाला गया था. साथ ही ये आदेश जारी किए कि प्रदूषण बोर्ड दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी रिकॉर्ड पर रखें. हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश दिए कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यह भी बताएं कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा क्यों नहीं चलाया गया?
हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता सहित गावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड, दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड, और ली एसोसिएट्स साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड को भी हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए. इन कंपनियों को हलफनामे में ये बताना होगा कि उनके द्वारा अवैध रूप से डाला गया मलबा हटा दिया गया है और जहां भी आवश्यक हो, सुधारात्मक उपाय किए गए हैं, अन्यथा कोर्ट उन्हें ब्लैक लिस्ट में डालने पर बाध्य होगा.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने सहायक पर्यावरण अभियंता, बिलासपुर को भी आदेश दिए कि वह पिछले छह महीनों से समय-समय पर किए जा रहे निरीक्षणों के बारे में अपना व्यक्तिगत हलफनामा अदालत ने दाखिल करे. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अवैध मलबा उक्त क्षेत्र में नहीं डाला जा रहा है. हाईकोर्ट ने बिलासपुर के डीसी व एसपी को राष्ट्रीय राजमार्ग और संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त गश्त के आदेश दिए, ताकि कोई अवैध मलबा न फेंक सके. हाईकोर्ट ने अपने आदेशों की अनुपालना की मुख्य जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर डाली है.