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खतरे में नहीं डाल सकते छोटे बच्चों की जान, हाईकोर्ट ने मंडी के प्राइमरी स्कूल साहनी को मर्ज करने पर लगाई रोक - Himachal High Court - HIMACHAL HIGH COURT

High court stays merger of Mandi primary school Sahni: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी के प्राइमरी स्कूल साहनी को मर्ज करने पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा कि हम छोटे बच्चों की जान को खतरे में नहीं डाल सकते हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 9:16 PM IST

शिमला: इधर हिमाचल सरकार कम संख्या वाले स्कूलों को नजदीक के स्कूलों में मर्ज कर रही है, उधर अभिभावक इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देकर राहत हासिल कर रहे हैं. पिछले कुछ समय से हाईकोर्ट ने कई प्राइमरी स्कूलों के नजदीक के स्कूल में मर्ज करने पर रोक लगाई है. इसी कड़ी में हाईकोर्ट ने मंडी जिला के एक स्कूल के मर्जर पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि छोटे बच्चों की जान तो खतरे में नहीं डाला जा सकता. जंगल वाले रास्ते से स्कूल पहुंचने में छोटे बच्चों को परेशानी होती है.

मामला मंडी जिला की औट तहसील के एक प्राइमरी स्कूल का है. प्राइमरी स्कूल साहनी डाकघर बालू तहसील औट का प्राइमरी स्कूल देहरी नाल में मर्जर किया गया था. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस संदर्भ में साहनी निवासी गुरदयाल सिंह, भोले राम, दलीप सिंह और सतीश कुमार की तरफ से दाखिल की गई याचिका की सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश जारी किए हैं. इस याचिका में प्रार्थी गणों का कहना था कि छोटे बच्चे अधिक दूरी तय नहीं कर सकते.

राज्य सरकार ने मर्जर को लेकर 21 अगस्त को जो आदेश जारी किए थे, याचिका के जरिए उन आदेशों को चुनौती दी गई थी. प्रार्थियों का कहना है कि देहरी नाल स्कूल समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह क्षेत्र स्नो बाउंड क्षेत्र में आता है. साहनी स्कूल से इस स्कूल दूरी 10 से 12 किलोमीटर है. वहां तक 6 से 10 साल तक के बच्चों को पैदल जाने में बहुत दिक्कतें आएंगी.

छोटे बच्चों को इस स्कूल तक जाने के लिए घने जंगलों में से गुजरना पड़ेगा. कच्चा रास्ता होने के कारण छोटे बच्चों को किसी भी दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों को खतरनाक पहाड़ी रास्तों से होते हुए जाना पड़ेगा, जिसमें उन्हें जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहेगा. अदालत ने कहा कि इन तथ्यों को देखते हुए छोटे बच्चों को खतरे में नहीं डाला जा सकता.

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