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शिमला के ISBT का बिजली कनेक्शन काटने पर HC की रोक, जानिए क्या है मामला ?

शिमला के टूटीकंडी स्थित ISBT के बिजली कनेक्शन काटने वाले फैसले पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. जानिए क्या है पूरा मामला?

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 21, 2024, 6:45 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला प्रशासन के राजधानी के टूटीकंडी स्थित ISBT के बिजली कनेक्शन काटने वाले फैसले पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ ने इस संदर्भ में मेसर्ज सीके इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए.

नगर निगम शिमला ने प्रॉपर्टी टैक्स की अदायगी न करने पर आईएसबीटी प्रबंधन को इस बारे में अंतिम नोटिस जारी किया था. मामले के अनुसार आईएसबीटी से नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स के रूप में 6.33 करोड़ रुपये वसूलने हैं. लेकिन प्रबंधन ने कई बार नोटिस जारी होने के बावजूद यह टैक्स नहीं भरा है. मेसर्ज सीके इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का कहना है कि उसका बस अड्डा प्रबंधन के साथ करार हुआ है और जो भी संपत्ति कर की अदायगी करनी है, वह बस अड्डा प्रबंधन को करनी है. क्योंकि वह इस संपति की असल मालिक है. कानूनन संपत्ति कर की अदायगी मालिक द्वारा की जाती है. कोर्ट ने प्रार्थी कंपनी की ओर से दी गई दलीलों से प्रथम दृष्टया सहमति जताते हुए नगर निगम शिमला के आदेशों पर रोक लगा दी.

घटिया दवाओं की शिकायत पर दो हफ्ते में किया जाए फैसला:वहीं, एक अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्टेट ड्रग कंट्रोलर को आदेश दिए हैं कि वह थेमिस मेडिकेयर लिमिटेड की नकली और घटिया दवाइयों को लेकर दी शिकायत पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले. न्यायाधीश संदीप शर्मा ने थेमिस मेडिकेयर लिमिटेड की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए.

मामले के अनुसार 15 मार्च 2024 की शिकायत में कहा गया है कि बद्दी में विभिन्न फार्मा कंपनियों द्वारा दवा फेराक्राइलम एपीआई और 1% फेराक्राइलम जेल, जो कि होमियोस्टैटिक पॉलीमर हैं, का निर्माण किया जा रहा है. शिकायत के अनुसार ये दवाएं निर्धारित फार्मूले/संरचना के अनुसार नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि किसी भी दवा को लॉन्च करने से पहले, प्रयोगशाला में उसका परीक्षण किया जाता है, जिसमें मानक की जांच के अलावा, दवा की संरचना की भी जांच की जाती है. कोर्ट ने शिकायत में निहित आरोपों को देखते हुए ड्रग कंट्रोलर को दो सप्ताह की अवधि के भीतर शिकायत पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए.

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