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हाईकोर्ट के निर्देश का पूरी तरह पालन न करने पर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को फटकार, खंडपीठ ने कहा- जेल में डाला जा सकता है अफसर को - Himachal Pradesh High Court

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में बाधा डालने का प्रयास करने पर फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेशों का अनुपालना नहीं करने के लिए निदेशक को दंडित किया जा सकता है. साथ ही उन्हें कारावास में भी डाला जा सकता है. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 8:47 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अनुपालना में अड़ंगा डालने की कोशिश करने पर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि निदेशक प्रारंभिक शिक्षा के कार्यालय से दिनांक 27.07.2024 को जारी निर्देश इंगित करते हैं कि हाईकोर्ट द्वारा 4 महीनों के भीतर याचिकाकर्ताओं को स्वीकार्य लाभ जारी करने के आदेशों में रुकावट पैदा करने के मकसद से उन्हें यह लाभ किस्तों में जारी करने को कहा गया है. निदेशक के इन निर्देशों से स्पष्ट है कि न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशानुसार प्रार्थियों को वित्तीय लाभ जारी नहीं किए गए हैं. शिक्षा निदेशक ने वित्त विभाग के निर्देशों का हवाला देते हुए वित्तीय लाभ किस्तों में जारी करने का निर्देश देकर न्यायालय के आदेशों से आगे निकलने की कोशिश की है.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि उत्तरदाताओं की ओर से ऐसा आचरण अवमानना पूर्ण प्रकृति का है. कोर्ट ने कहा कि निदेशक के खिलाफ अवमानना के प्रावधानों को लागू किए बिना भी उनका आचरण न केवल निर्देशों की अवज्ञा के लिए बल्कि अदालती आदेश के विपरीत कार्यालय आदेश जारी करके न्यायालय के निर्देशों का अतिक्रमण करना उनके गैर-क्रियान्वयन के समान है. अपने आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए निदेशक को उत्तरदायी और दंडित किया जा सकता है और कारावास में डाला जा सकता है.

विभिन्न याचिकाकर्ता जेबीटी अध्यापकों के अनुसार कोर्ट ने उसकी जूनियर बेसिक टीचर (जेबीटी) के रूप में प्रदान की गई अनुबंध वाली सेवाओं को पेंशन व वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए गिने जाने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने शिक्षा विभाग को देय वित्तीय लाभों का भुगतान 4 माह के भीतर करने को कहा था. यह आदेश 29 अगस्त 2023 को जारी किए गए थे. प्रार्थियों का आरोप है कि करीब एक साल बीत जाने पर भी कोर्ट के आदेशों की अक्षरशः अनुपालना नहीं की गई है.

मामले के अनुसार प्रदेश में जेबीटी शिक्षकों की कमी के कारण प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक, भाषा शिक्षक, शास्त्री इत्यादि योग्यता रखने वाले अध्यापकों को शिक्षा विभाग में अनुबंध आधार पर जेबीटी के रूप में नियुक्त किया गया था. जबकि यह शिक्षक जेबीटी शिक्षक की योग्यता नहीं रखते थे. काफी लंबे समय तक सेवा करने के बाद उन्हें सरकार द्वारा प्रदान किए गए विशेष प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद विशेष जेबीटी प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया.

इसके बाद शिक्षा विभाग में उनकी सेवाओं को जेबीटी के रूप में नियमित किया गया. प्रार्थियों ने उनके नियमितीकरण से पहले के अनुबंध कार्यकाल को वार्षिक वेतन वृद्धि और पेंशन का लाभ देने के लिए गिने जाने की गुहार लगाई थी. कोर्ट ने प्रार्थियों की मांग को स्वीकार करते हुए उनके अनुबंध काल को वार्षिक वेतन वृद्धि और पेंशन के लिए गिने जाने के आदेश दिए थे और वित्तीय लाभों का भुगतान 4 माह में करने को कहा था.

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने यह लाभ एक मुश्त जारी करने की बजाए किस्तों में देने के आदेश जारी किए. इस पर कोर्ट ने उन्हें उपरोक्त चेतावनी देते हुए 28 अगस्त तक कोर्ट के आदेशों की अक्षरशः अनुपालना करने के आदेश जारी किए.

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