शिमला: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित सीपीएस (मुख्य संसदीय सचिव) मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में तय सुनवाई टलने के बाद अब केस की सुनवाई मंगलवार को संभावित है. सोमवार को हालांकि मामला सुनवाई के लिए लिस्टिड था, लेकिन खंडपीठ ने इसे सुना नहीं. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए छह सीपीएस को उनके पद से हटाने के आदेश जारी किए थे. साथ ही उनको दी गई सारी सुविधाएं भी वापस लेने को कहा था.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश का सीपीएस एक्ट भी अमान्य करार दे दिया था. यानी अदालत ने राज्य के सीपीएस एक्ट को असंवैधानिक बताया था और उसे रद्द कर दिया था. उसके बाद राज्य सरकार ने मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. राज्य सरकार का कहना था कि हिमाचल का सीपीएस एक्ट आसाम से अलग है. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल के मामले को भी अन्य राज्यों के मामलों के साथ क्लब किया है.
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के वेब पोर्टल के मुताबिक मामले में 21 जनवरी मंगलवार को सुनवाई संभावित है. केस को 21 जनवरी के लिए पुनर्निर्धारित किया गया है. हिमाचल प्रदेश के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने नई तारीख की पुष्टि की है. एडवोकेट जनरल के अनुसार केस की सुनवाई मंगलवार या फिर उसके एक से दो दिन के बाद भी हो सकती है. ये सुप्रीम कोर्ट ही डिसाइड करेगा.
हिमाचल हाईकोर्ट ने हटाए थे छह सीपीएस
हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार ने सुंदर ठाकुर, किशोरी लाल, संजय अवस्थी, मोहन लाल ब्राक्टा, रामकुमार चौधरी व आशीष बुटेल को सीपीएस बनाया था. सीपीएस की नियुक्ति को भाजपा नेता व विधायक सतपाल सिंह सत्ती सहित अन्य ने चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई के बाद सभी नियुक्तियों को असंवैधानिक करार दिया था. उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
सर्वोच्च अदालत में सीजे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ इस केस को सुनेगी. हिमाचल सरकार सहित सभी सीपीएस ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अदालत में पहले से लंबित एक समान मामलों के साथ जोड़ने का भी फैसला किया है. अब हिमाचल में भी सभी की नजरें कल की संभावित सुनवाई पर टिकी हैं.