हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

मंडी में काटे थे सैकड़ों हरे पेड़, दोषी पाए जाने के बावजूद वन विभाग ने अफसरों पर लगाया सिर्फ जुर्माना, हाईकोर्ट ने पूछा कारण - HC on Mandi Forest Cutting Case - HC ON MANDI FOREST CUTTING CASE

Himachal High Court on Forest Department: हिमाचल में वन विभाग में ड्यूटी को लेकर कोताही बरतने वाले दो अफसरों को सिर्फ जुर्माना देकर छोड़े जाने को लेकर हाईकोर्ट ने वन विभाग से कारण पूछा है. कोर्ट ने विभाग से जवाब मांगा है कि आखिर क्यों दोषी पाए जाने के बाद भी इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (File Photo)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 14, 2024, 1:42 PM IST

शिमला: हिमाचल वन विभाग में ड्यूटी को लेकर कोताही बरतने वाले दो अफसरों को सिर्फ जुर्माना कर पल्ला झाड़ लिया गया. अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन विभाग से पूछा है कि दोषी पाए जाने के बावजूद अफसरों पर केवल जुर्माना ही क्यों लगाया गया? आगे की कार्रवाई क्यों नहीं कि गयी? अदालत ने वन विभाग के डिप्टी रेंजर और फॉरेस्ट गार्ड को कर्तव्यों में कोताही बरतने का दोषी पाए जाने के बावजूद केवल जुर्माना वसूलने की सजा देने के कारण स्पष्ट करने के आदेश जारी किए हैं. इस तरह विभाग पर कानूनी एक्शन की तलवार लटक गई है.

मंडी में हुआ था सैकड़ों पेड़ों का कटान

मामला मंडी जिले का है. यहां वन विभाग ने डिप्टी रेंजर धर्म पाल और फॉरेस्ट गार्ड विजय कुमार को विभागीय जांच में चैलचौक मंडी के समीप सैकड़ों पेड़ों के कटान के दौरान कर्तव्यों में लापरवाही बरतने का दोषी पाया था. वन विभाग ने उक्त दोनों कर्मियों से सजा के तौर पर 7 लाख 92 हजार 960 रुपए का जुर्माना वसूलने के आदेश जारी किए थे.

30 सितंबर तक मांगा जवाब

हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने वन विभाग से पूछा है कि इन दोषी कर्मियों पर बड़े दंड की सजा के साथ साथ सीसीएस (क्लासिफिकेशन कंट्रोल एंड अपील) नियम 1965 के तहत कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. कोर्ट ने पूछा है कि इन कर्मियों से वरिष्ठ कर्मियों के खिलाफ कोई जांच क्यों नहीं की गई, जबकि उनका नाम उक्त दोषी कर्मियों के खिलाफ जांच के दौरान उजागर हो गया था. कोर्ट ने वन विभाग को यह जानकारी 30 सितंबर तक देने के आदेश जारी किए हैं.

क्या है पूरा मामला?

हिमाचल हाईकोर्ट ने फॉरेस्ट रेस्ट हाउस चैल चौक मंडी के पास सैकड़ों पेड़ काटकर एक बड़ा मैदान बनाए जाने को गंभीरता से लिया था. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पूछा था कि जब सैकड़ों पेड़ कट रहे थे तो वन विभाग ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि कैसे फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के साथ का बहुत बड़ा भाग वन विभाग की जानकारी के बिना खाली कर दिया गया? कोर्ट ने वन विभाग से पूछा था कि काटे गए पेड़ों की जगह फिर से नए पौधे क्यों नहीं लगाए गए हैं?

2022 में लिखा था मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र

हाईकोर्ट ने नाचन जिला मंडी में पेड़ों के अवैध कटान की जांच के लिए कानूनी सेवा प्राधिकरण मंडी के सचिव सहित डीसी और एसपी मंडी की एक कमेटी गठित की थी. हाईकोर्ट ने स्थानीय निवासी राजू द्वारा मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लिया है. जुलाई 2022 में लिखे पत्र में आरोप लगाया गया है कि पांच साल से अधिक समय से तैनात तत्कालीन डीएफओ नाचन के इशारे पर वन मंडल नाचन के कई वन क्षेत्रों में हजारों हरे पेड़ काटे गए हैं. वन संरक्षण अधिनियम के तहत मंजूरी के बिना अत्यधिक घने जंगल से पेड़ों को काटकर अवैध रूप से सड़कों का निर्माण किया गया है. शिकारी देवी-देहर रोड के लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में सेंचुरी एरिया होने के बावजूद वन क्षेत्र नष्ट हो गया है. आरोप है कि तत्कालीन डीएफओ के इशारे पर रेस्ट हाउस से लगभग 100 मीटर की दूरी पर चैल चौक पर लगभग 500 हरे पेड़ों को नष्ट कर एक मैदान का निर्माण किया गया है. प्रार्थी ने वन और पर्यावरण विनाश व सरकारी सपंदा को नष्ट होने से न बचाने के लिए तत्कालीन डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें:हिमाचल में वन काटुओं ने डेढ़ साल में काट डाले 4476 पेड़, कुल 10.98 करोड़ की वन संपदा पर चलाई कुल्हाड़ी

ये भी पढ़ें: बंजार में बड़े स्तर पर अवैध कटान, सुक्खू सरकार पर फूटा पूर्व मंत्री का गुस्सा, लगाए ये गंभीर आरोप

ABOUT THE AUTHOR

...view details