शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोगी कल्याण समिति आईजीएमसी शिमला द्वारा नियुक्त प्रयोगशाला सहायकों को सरकारी अनुबंध पर लाने के आदेश जारी किए हैं. हाई कोर्ट ने प्रार्थियों को आरकेएस के तहत 3 साल का कार्यकाल पूरा करने पर सरकारी अनुबंध में लाने के आदेश दिए हैं.
हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने याचिकाकर्ता पल्लवी चौहान, ललित शर्मा और प्रवीण कुमार द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए इन्हे सरकारी अनुबंध पर लाने से उपजे सभी सेवा लाभ देने के आदेश भी जारी किए. इन प्रार्थियों को आरकेएस द्वारा वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से नियुक्त किया था.
प्रार्थियों के अनुसार वर्ष 2014 में आरकेएस आईजीएमसी ने प्रयोगशाला सहायकों के पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था. 19 फरवरी 2014 को साक्षात्कार में वे चयनित हो गए. जून 2014 में उन्हें नियुक्तियां प्रदान की गई. 3 वर्ष तक आरकेएस के तहत काम करने के बाद जब उन्हें सरकारी अनुबंध पर नहीं लाया गया तो उन्होंने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में याचिकाएं दायर की.
इन याचिकाओं का निपटारा करते हुए ट्रिब्यूनल ने स्वास्थ्य विभाग को आदेश दिए कि वह प्रार्थियों के मामलों पर 27 सितंबर 2012 की नीति को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय ले. इसके बाद 29 जनवरी 2019 को स्वास्थ्य विभाग ने प्रार्थियों के प्रतिवेदन को खारिज करते हुए कहा कि प्रार्थी आरकेएस द्वारा सृजित पदों पर कार्यरत हैं. इसलिए वे सरकार द्वारा सृजित पदों पर कार्य नहीं कर रहे.