शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है. अदालत ने कहा कि आर्थिक संकट के नाम पर सरकार पेंशनर्स के वित्तीय लाभ नहीं रोक सकती है. हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय और इससे संबद्ध पेंशनर्स कल्याण एसोसिएशन के सदस्यों को छठे वेतन आयोग का लाभ जारी करने के लिए आदेश दिए हैं. अदालत ने राज्य सरकार को छह सप्ताह में बढ़ी हुई पेंशन की बकाया रकम छह फीसदी ब्याज दर सहित देने के लिए कहा है. छठे वेतन आयोग के तहत वित्तीय लाभ देने के लिए सरकार को 42 दिन का समय दिया गया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने इस बारे में प्रार्थी एसोसिएशन की याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश जारी किए हैं.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा सरकार न तो पेंशनरों के वित्तीय लाभ रोक सकती है और न ही ये लाभ जारी करने से मना कर सकती है. संसाधनों की कमी के नाम पर राज्य सरकार पेंशनर्स के लाभ अनिश्चितकाल तक रोक नहीं सकती. हाईकोर्ट ने साफ कहा कि यदि एक बार किसी सेवारत या सेवानिवृत कर्मचारी के पक्ष में वित्तीय लाभ कानूनी रूप से तय हो जाएं तो उन्हें अनिश्चित काल के लिए न तो रोका जा सकता है और न ही उसमें संशोधन कर उसे कम किया जा सकता है.कोर्ट ने कहा राज्य सरकार कानूनी रूप से अपने वादों को पूरा करने के लिए बाध्य होती है. ऐसे में कमजोर आर्थिक स्थिति का बहाना बनाकर वित्तीय लाभ नहीं रोके जा सकते.
मामले में प्रार्थी एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक अभी तक कोई वित्तीय लाभ नहीं दिए गए हैं. एसोसिएशन का कहना था कि प्रदेश सरकार ने 3 जनवरी 2022 को संशोधित वेतनमान वाले नियम बनाए. इन नियमों के तहत सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूर किया और कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से यह लाभ देने की घोषणा की. एसोसिएशन का कहना था कि वे भी संशोधित वेतनमान की बकाया राशि पाने के हकदार हैं. क्योंकि वे 1 जनवरी 2016 के पहले व बाद में सेवानिवृत्त हुए थे.