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शिमला के ऐतिहासिक टाउन हाल में हाई एंड कैफे खोलने के मामले में हाईकोर्ट ने तलब की रिपोर्ट, अगली सुनवाई 17 दिसंबर को - HP HIGH COURT ON FOOD COURT

हिमाचल हाईकोर्ट ने टाउन हाल में खोले गए फूड कोर्ट मामले में स्टेट हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी से रिपोर्ट तलब की है.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (File Photo)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 11, 2024, 7:29 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला के ऐतिहासिक टाउन हाल में हाई एंड नाम से कैफे खोलने से जुड़े मामले में स्टेट हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी से रिपोर्ट तलब की है. ये रिपोर्ट एडवोकेट जनरल ऑफिस के जरिए सौंपने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई 17 दिसंबर को तय की है.

फूड कोर्ट के संचालन जनवरी में लगाई रोक

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने टाउन हॉल शिमला में फूड कोर्ट के संचालन पर इसी साल जनवरी में रोक लगाई थी. हाईकोर्ट ने फूड कोर्ट चलाने वाली कंपनी देवयानी इंटरनेशनल को आदेश दिए थे कि वह अगली सुनवाई तक टाउन हॉल में इसका संचालन न करे. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ अब 17 दिसंबर को सुनवाई करेगी.

फूड कोर्ट मामले पर हाईकोर्ट की टिप्पणी

यहां बता दें कि इस मामले में अदालत ने कहा था कि टाउन हॉल शिमला शहर का बहुत प्रतिष्ठित व ऐतिहासिक स्थल है. इसे हाल ही में एशियन विकास बैंक के सहयोग से भारी खर्चा कर पुनर्निर्मित किया गया है. हाईकोर्ट ने कहा कि विरासत स्थल हमेशा ही अनमोल होते हैं. प्राचीन युग की साक्षी रही यह हेरिटेज बिल्डिंग एक खजाना है, इसलिए इसे सार्वजनिक ट्रस्ट माना जा सकता है. इस विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना होगा. इस तरह की ऐतिहासिक इमारत में फूड कोर्ट चलाने से इस संपत्ति पर लगातार दबाव बढ़ेगा. यह दबाव इसके विरासत मूल्य को खतरा पैदा करेगा. हाईकोर्ट ने इस मामले में जनहित को निजी हित से ऊपर बताया. अदालत ने कहा कि इमारत में फूड कोर्ट चलाने से इसे अपूरणीय क्षति पहुंचेगी. हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला के कमिश्नर को कहा कि वह इस आदेश का तत्काल अनुपालन सुनिश्चित करें.

हाईकोर्ट ने जताया खेद

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने इस बात पर खेद जताया कि मामले को दो दिनों तक लगातार सुनने के बाद कई अहम सवाल पैदा हुए हैं. दुख की बात है कि चाहे राज्य सरकार हो या नगर निगम अथवा एचपी इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट बैंक, किसी ने भी उन प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया है. अदालत ने एडवोकेट जनरल कार्यालय के माध्यम से राज्य विरासत सलाहकार समिति को इस मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने का आदेश दिया और अगली तारीख तक एक रिपोर्ट सौंपने को कहा.

क्या है पूरा मामला?

हिमाचल हाईकोर्ट ने एडवोकेट अभिमन्यु राठौर की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिका में अंतरिम राहत से जुड़े आवेदन का निपटारा करते हुए फूड कोर्ट के संचालन पर रोक के आदेश पारित किए थे. याचिका में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम शिमला ने प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958, टीसीपी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इस विरासत संपत्ति को हाई-एंड कैफे में बदलने की अनुमति दी है. इसमें फूड कोर्ट चलाने से बिल्डिंग को भारी नुकसान पहुंचेगा. अदालत ने कभी भी इस बिल्डिंग में फूड कोर्ट जैसी गतिविधियां चलाने की अनुमति नहीं दी थी. निविदाएं भी हाई एंड कैफे चलाने के मांगी गई थी न कि फूड कोर्ट के लिए. प्रार्थी ने हाईकोर्ट से राज्य सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित विभागीय कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह भी किया है. याचिका में कहा गया कि उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ एक्शन होना चाहिए, जो अनधिकृत आंतरिक निर्माण और संशोधन की निगरानी और सत्यापन करने में विफल रहे, जिससे इस विरासत भवन की प्रकृति बदल गई. मामले पर सुनवाई 17 दिसंबर को होगी.

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