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शिमला में मानसिक रोग अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही पर हाईकोर्ट को लिखी चिट्ठी, अदालत ने सरकार व डॉक्टर को नोटिस जारी कर मांगा जवाब - Himachal High Court

Letter to HC on Doctor Negligence in Shimla: शिमला के बालूगंज स्थित मानसिक रोगी अस्पताल में डॉक्टर की कथित लापरवाही को लेकर एक ट्रस्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट को पत्र लिखा है और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. कोर्ट ने सरकार और डॉक्टर को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 23, 2024, 9:28 AM IST

शिमला: राजधानी शिमला के पास बालूगंज में स्थित मानसिक रोगी अस्पताल के डॉक्टर की कथित तौर पर लापरवाही को लेकर एक ट्रस्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर संज्ञान लेने की गुहार लगाई. हाईकोर्ट ने इस पत्र को जनहित याचिका मानते हुए राज्य सरकार व संबंधित डॉक्टर को नोटिस जारी किया है. पत्र में लिखा गया है कि बालूगंज स्थित मानसिक रोगी अस्पताल में तैनात डॉक्टर की लापरवाही के कारण मरीजों की हालत दयनीय है. अदालत ने इस पर सरकार व डॉक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

29 सितंबर को होगी सुनवाई

ये पत्र मेंटल हेल्थ वेलनेस चैरिटेबल ट्रस्ट शिमला के अध्यक्ष की तरफ से लिखा गया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर ही अदालत ने यह जनहित याचिका दर्ज की है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य निदेशक, शिमला के डीसी और एसपी को नोटिस जारी किए. मामले पर सुनवाई 29 सितंबर को निर्धारित की गई है.

पत्र में डॉक्टर पर लगाए ये आरोप

पत्र में आरोप लगाया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम-2017 में दी गई मनोचिकित्सक की योग्यता पूरी न करने के बावजूद आदित्य नामक डॉक्टर पिछले लगभग दो साल से इस अस्पताल में तैनात है. ये डॉक्टर लगभग दस साल से शिमला व आसपास के अस्पतालों में ही सेवाएं दे रहा है. पत्र में आरोप लगाया गया है कि यह डॉक्टर सप्ताह में एक या दो बार ही अस्पताल आते हैं. ये भी आरोप है कि जब से डॉ. आदित्य ने स्वास्थ्य विभाग में काम करना शुरू किया है तब से उन्हें इस प्रकार ही ड्यूटी करने की आदत है. मानसिक रोग चिकित्सालय में ऐसे लापरवाह एवं अनुपस्थित रहने की आदत रखने वाले चिकित्सक की तैनाती मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों के साथ आपराधिक अन्याय है.

माता-पिता भी स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ पदों से हैं रिटायर

आरोप है कि इतने महान पेशे के बावजूद, इस डॉक्टर ने सरकारी कर्तव्य का मजाक उड़ाया है और विभाग ने भी उसके इस लापरवाह रवैये पर आंखें मूंद रखी हैं. मानसिक रोगी अस्पताल में गरीब व असहाय मरीज भर्ती हैं. उन्हें विशेष केयर की जरूरत है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में बताया गया है कि डॉ. आदित्य के माता-पिता स्वास्थ्य विभाग से बहुत वरिष्ठ पदों से सेवानिवृत्त हुए हैं. यही मुख्य कारण है कि नौकरी में पूरी तरह से लापरवाही बरतने के बावजूद कोई भी उन्हें कोई भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं करता है.

डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

आरोप है कि डॉ. आदित्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की मदद से शिमला और उसके आसपास अपने स्थानांतरण और पोस्टिंग में हेरफेर करता रहा है. पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट से ये अनुरोध किया गया है कि एडीएम/एडीसी रैंक के किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के माध्यम से मामले की जांच कराई जाए. साथ ही बायोमीट्रिक मशीनों और सीसीटीवी से तथ्यों की जांच करके अस्पताल में उनके प्रदर्शन/उपस्थिति की स्थिति का पता लगाया जाए. पत्र में उपरोक्त डॉक्टर के खिलाफ गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की मांग भी की गई है और उन्हें तुरंत शिमला से बाहर स्थानांतरित कर किसी दूर-दराज के क्षेत्र में तैनात करने की गुहार लगाई गई है.

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