शिमला: राजधानी शिमला के पास बालूगंज में स्थित मानसिक रोगी अस्पताल के डॉक्टर की कथित तौर पर लापरवाही को लेकर एक ट्रस्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर संज्ञान लेने की गुहार लगाई. हाईकोर्ट ने इस पत्र को जनहित याचिका मानते हुए राज्य सरकार व संबंधित डॉक्टर को नोटिस जारी किया है. पत्र में लिखा गया है कि बालूगंज स्थित मानसिक रोगी अस्पताल में तैनात डॉक्टर की लापरवाही के कारण मरीजों की हालत दयनीय है. अदालत ने इस पर सरकार व डॉक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
29 सितंबर को होगी सुनवाई
ये पत्र मेंटल हेल्थ वेलनेस चैरिटेबल ट्रस्ट शिमला के अध्यक्ष की तरफ से लिखा गया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर ही अदालत ने यह जनहित याचिका दर्ज की है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य निदेशक, शिमला के डीसी और एसपी को नोटिस जारी किए. मामले पर सुनवाई 29 सितंबर को निर्धारित की गई है.
पत्र में डॉक्टर पर लगाए ये आरोप
पत्र में आरोप लगाया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम-2017 में दी गई मनोचिकित्सक की योग्यता पूरी न करने के बावजूद आदित्य नामक डॉक्टर पिछले लगभग दो साल से इस अस्पताल में तैनात है. ये डॉक्टर लगभग दस साल से शिमला व आसपास के अस्पतालों में ही सेवाएं दे रहा है. पत्र में आरोप लगाया गया है कि यह डॉक्टर सप्ताह में एक या दो बार ही अस्पताल आते हैं. ये भी आरोप है कि जब से डॉ. आदित्य ने स्वास्थ्य विभाग में काम करना शुरू किया है तब से उन्हें इस प्रकार ही ड्यूटी करने की आदत है. मानसिक रोग चिकित्सालय में ऐसे लापरवाह एवं अनुपस्थित रहने की आदत रखने वाले चिकित्सक की तैनाती मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों के साथ आपराधिक अन्याय है.