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सार्वजनिक शौचालयों में सुविधाओं पर एमसी शिमला व सुलभ इंटरनेशनल को हाईकोर्ट के निर्देश, अनुपालना रिपोर्ट भी तलब - HP HC instructions to MC Shimla - HP HC INSTRUCTIONS TO MC SHIMLA

शिमला में सार्वजनिक शौचालयों में सफाई व्यवस्था एवं अन्य सुविधाओं को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला सहित सुलभ इंटरनेशनल सोशल आर्गेनाइजेशन को निर्देश पारित किए हैं. पढ़िए पूरी खबर

HIMACHAL HIGH COURT
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 28, 2024, 9:44 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सार्वजनिक शौचालयों में सफाई व्यवस्था एवं अन्य सुविधाओं को लेकर निर्देश पारित किए हैं. अदालत ने इस बारे में नगर निगम शिमला सहित सुलभ इंटरनेशनल सोशल आर्गेनाइजेशन को जरूरी निर्देश जारी किए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इस मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद एमसी शिमला व सुलभ इंटरनेशनल को सफाई कर्मियों की हाजिरी के लिए बायोमीट्रिक मशीनों की व्यवस्था करने को कहा है.

मामले में हाईकोर्ट को बताया गया था कि शिमला नगर निगम में सफाई कर्मियों की उपस्थिति और उनकी कार्य करने की टाइमिंग का लेखा-जोखा रखने का कोई कारगर तंत्र नहीं है. ऐसे में बायोमीट्रिक हाजिरी से सफाई कर्मचारियों की संबंधित स्थान पर उपस्थिति सुनिश्चित की जा सकती है. इस पर हाईकोर्ट ने एमसी शिमला प्रशासन को आदेश जारी किए हैं कि वो दो हफ्ते के भीतर इस प्रक्रिया को शुरू करें.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि नगर निगम, शिमला को बायोमेट्रिक मशीनें खरीदने के प्रस्ताव पर विचार के बाद इसे राज्य चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने और सुनवाई की अगली तारीख पर अनुपालना रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश जारी किया गया है. अदालत ने सुलभ इंटरनेशनल सोशल ऑर्गनाइजेशन को भी यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि वो शौचालय सुविधाओं के निशुल्क उपयोग को प्रदर्शित करने वाले नोटिस पर्याप्त संख्या में हिंदी में लगाए. अदालत ने इन सब के लिए दो हफ्ते का समय दिया है.

इस मामले में अदालत में दाखिल जनहित याचिका शहरी क्षेत्रों विशेष रूप से महिलाओं के लिए शौचालय सुविधाओं से जुड़ी है. यह मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नागरिकों के स्वास्थ्य और विभिन्न स्थानों पर स्वच्छ और साफ सुथरी स्थिति में सार्वजनिक शौचालय रखने के अधिकारों पर केंद्रित है. यह मानवीय गरिमा के साथ जीवन का अधिकार अपने भीतर समाहित करता है, जिससे जीवन सहजता से चलता है. कोई भी इंसान तब तक गरिमा के साथ नहीं रह सकता जब तक बुनियादी स्वच्छता बनाए रखने के लिए सार्थक सुविधाएं न हों.

भारत का संविधान तब तक सार्थक नहीं हो सकता जब तक जनता खासकर महिलाओं को स्वच्छ शौचालयों की सुविधा नहीं दी जाती. ये सुविधाएं कस्बों, बस स्टैंडों, बैंकों, सार्वजनिक कार्यालयों, नगरपालिका कार्यालयों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि में विभिन्न स्थानों पर जरूरी हैं. कोर्ट ने कहा कि इसे समझने के लिए किसी रॉकेट विज्ञान की आवश्यकता नहीं है. स्वच्छ और उचित शौचालय सुविधाओं की कमी के कारण गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई 11 अप्रैल को तय की है.

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