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कुल्लू में सरकारी वन भूमि से तुरंत हटाए जाएं अवैध कब्जे, लापरवाही करने वाले अफसरों पर गिरेगी हाई कोर्ट की गाज - Himachal High Court

High Court Hearing In Kullu Forest Land Encroachment Case: हिमाचल हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले की सुनवाई करते हुए कुल्लू में सरकारी वन भूमि पर से जल्द से जल्द कब्जा हटाने के आदेश दिए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 5:33 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कुल्लू वन क्षेत्र की भूमि पर किए अवैध कब्जे से जुड़े एक मामले का निपटारा करते हुए वन भूमि को तुरंत खाली करने के आदेश जारी किए है. न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि मंडलीय आयुक्त व कलेक्टर-सह-मंडलीय वन अधिकारी, आनी वन मंडल, लुहरी, जिला कुल्लू के आदेशों से प्रार्थी द्वारा सरकारी वन भूमि पर किए अवैध कब्जे की पुष्टि हो गई है. इसलिए संबंधित तहसीलदार, राजस्व अधिकारियों, डीएफओ सहित अन्य वन अधिकारियों को सरकारी वन भूमि की स्थायी सीमा तय करने के बाद प्रार्थी द्वारा कब्जाई तमाम वन भूमि का कब्जा वापस लेने के निर्देश दिए गए है.

कोर्ट ने उक्त अधिकारियों को इस बाबत 31 अगस्त 2024 तक का समय दिया है. कोर्ट ने मौके से कब्जा वापस लेने के संबंध में अनुपालना शपथ पत्र संबंधित प्रभागीय वन अधिकारी द्वारा दाखिल करने के आदेश भी जारी किए है. संबंधित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह अगर उक्त भूमि के सीमांकन के दौरान अन्य अतिक्रमणों को मौके पर पाते है तो उन्हें भी समयबद्ध तरीके से वन भूमि से कानून के दायर में रहकर उचित कार्रवाई करके छः माह में हटा दें. कब्जाई वन भूमि पर यदि कोई निर्माण किया गया है तो वह हिमाचल प्रदेश सरकार या वन विभाग में निहित होगा और उसका राज्य सरकार या वन विभाग द्वारा उपयोग किया जाएगा.

कोर्ट ने प्रार्थी को छूट दी है कि यदि वह निर्माण से जुड़ी सामग्री उक्त वन भूमि से खुद ही हटाकर ले जाना चाहे तो वह 30 अक्टूबर 2024 से पहले यह कार्य कर सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उपरोक्त निर्देशों की अनुपालना में किसी भी लापरवाही या ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ परिणामी प्रतिकूल कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. कोर्ट ने संपूर्ण कार्यवाही की वीडियोग्राफी करने और वीडियोग्राफी की प्रति शपथ पत्र के साथ रिकॉर्ड पर रखने के आदेश भी दिए.

महाधिवक्ता को समय पर अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए इन आदेशों को हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के ध्यान में लाने का निर्देश दिया गया है. मामले को अनुपालना के लिए 23 सितंबर को सूचीबद्ध किया गया है. प्रार्थी के खुद के दावे के अनुसार वह सरकारी वन भूमि का उपयोग पिछले 20-25 वर्षों से फलदार पेड़ उगाने के लिए कर रहा है. राजस्व एवं वन विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में भूमि का सीमांकन किया गया था, लेकिन प्रार्थी के अनुसार, वह सीमांकन के समय उपस्थित नहीं था. लेकिन उसने लिखित में दिया था कि उसकी उपस्थिति में भूमि के सीमांकन पर यदि कोई सरकारी भूमि उनके कब्जे में पाई जाती है, तो वह उसे खाली करने के लिए तैयार है.

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