कुल्लू: हिमाचल प्रदेश कृषि और बागवानी आधारित राज्य है. यहां के अधिकांश परिवार कृषि और बागवानी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. कृषि-बागवानी से प्रदेश को काफी राजस्व भी प्राप्त होता है. हिमाचल प्रदेश अपने फलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. जहां हिमाचल का सेब इसकी पहचान है. वहीं, अब सेब की बागवानी करना बागवानों के लिए मुश्किल होता जा रहा है. सेब की अच्छी किस्म के पौधे बाहरी देशों से आयात किए जा रहे हैं, लेकिन ये पौधे बहुत ज्यादा महंगे होते हैं. जिसके चलते बागवानों को इनकी खरीद पर काफी सारा पैसा खर्च करना पड़ता है. ऐसे में अब किसानों-बागवानों की मांग है कि प्रदेश सरकार इस बार के बजट में किसानों-बागवानों के लिए विशेष रूप से सब्सिडी का प्रावधान करें, ताकि वे लोग बिना किसी परेशानी के कृषि और बागवानी कर सकें.
दवाइयों-कीटनाशकों पर सब्सिडी
बागवान संजय कुमार का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में बदल रहा मौसम बागवानी व कृषि क्षेत्र के लिए आगामी समय में संकट बन सकता है. यहां पर पिछले कुछ समय से मौसम में काफी बदलाव देखा गया है. जिसके चलते कृषि व बागवानी क्षेत्र जुड़े हुए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते पौधों में कई तरह की बीमारियां भी लग रही हैं. जिसके लिए बागवानों को समय-समय पर स्प्रे व अन्य दवाइयां का प्रयोग करना पड़ता है, लेकिन वह किसानों और बागवान को काफी महंगी पड़ रही है. ऐसे में किसानों-बागवानों के लिए प्रदेश सरकार बजट में सब्सिडी का प्रावधान करें, ताकि सस्ते दामों में उन्हें यह कीटनाशक व अन्य दवाइयां उपलब्ध हो सके.
'सस्ते दामों पर मिले बाहरी देशों से आयात अच्छी किस्म के पौधे'
बागवान आदर्श वीर का कहना है कि अब सेब व अन्य फलदार पेड़ों की अच्छी किस्म के पौधे बाहरी देश से भारत में आ रहे हैं और यहां पर बागवानों को वह काफी महंगे दामों पर मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को बजट में इसके लिए विशेष प्रावधान करना चाहिए, ताकि बागवानों को बाहरी देशों से आने वाले अच्छे किस्म के पौधे सस्ते दाम पर मिल सके, क्योंकि उन पौधों से जहां बागवानों की आर्थिकी की सुधरेगी. वहीं, इससे प्रदेश सरकार को भी राजस्व में काफी फायदा होगा.