शिमला: हिमाचल विधानसभा के विंटर सेशन में दूसरे दिन सात साल के विनियोग विधेयक एक ही दिन में एक साथ पारित किए गए. यदि सरकार आम बजट से अधिक खर्च करती है तो विधानसभा से उसकी अनुमति लेनी पड़ती है. उसके लिए विनियोग विधेयक पारित होता है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा की लोक लेखा समिति से ये देरी हुई थी. ऐसे में बजट से अधिक खर्च की गई रकम से संबंधित विगत साल के विनियोग विधेयक सेशन के दूसरे दिन सदन में एक साथ पारित करवाए गए. जिस समय विनियोग विधेयक पारित हो रहे थे तो विपक्षी दल सदन में नहीं था. भाजपा सदस्य सदन का बहिष्कार कर बाहर चले गए थे. संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भाजपा के इस व्यवहार की निंदा की.
खैर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2020-21 तक के 7 वित्तीय वर्ष के अनुदान व विनियोग विधायक सदन में रखे, जिन्हें बाद में ध्वनि मत से पारित किया गया. उल्लेखनीय है कि वित्त विभाग को विधानसभा की लोक लेखा समिति से ये विधेयक मिले थे और लोक लेखा समिति के पास ये लंबित थे. समिति से क्लियर होने के बाद इन्हें विधानसभा से पारित करवाना जरूरी था. राज्य सरकार विधानसभा से जो बजट पारित करवाती है, यदि उससे अधिक खर्च वित्त वर्ष में हो तो उसे विनियोग विधेयक के जरिए पास करवाना होता है. यानी इसके लिए सदन की अनुमति जरूरी है.
जब सदन में भिड़ गए सीएम और सुधीर
सदन में दूसरे दिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और धर्मशाला के भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के बीच टकराव देखने को मिला. भाजपा सदस्य सुधीर शर्मा ने भोरंज से कांग्रेस विधायक सुरेश कुमार के परिजन को धर्मशाला शहर में पेट्रोल पंप के लिए वन भूमि देने की तैयारी पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. भाजपा सदस्य सुधीर शर्मा का आरोप था कि ऊंचे स्तर से संकेत मिलने के बाद जिला प्रशासन ने वन भूमि की नपाई शुरू की. इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि स्मार्ट सिटी के तहत अनुसूचित जाति के कोटे से केंद्र सरकार से पेट्रोल पंप अलॉट हुआ है. इसके लिए सिर्फ जमीन की एनओसी दी जानी है. इस बारे में सारा फैसला केंद्र को लेना है. भाजपा को यदि कोई परेशानी है तो केंद्र सरकार के पास जाकर केस को रुकवा सकते हैं.