रांची: वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने लगातार पांचवी बार राज्य का बजट पेश किया. इसबार 10.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1,28,900 करोड़ का बजट तैयार किया गया है. उनका दावा किया है कि वित्तीय प्रबंधन के मामले में झारखंड बेहतर परफॉर्म कर रहा है. इसी का नतीजा है कि 2019-20 में जिस राज्य का आर्थिक विकास दर 1.1 प्रतिशत था वह कोरोना काल के विपरित हालात के बावजूद कांस्टेंट प्राइज पर 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहा. वहीं 2023-24 में राष्ट्रीय आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत की तुलना में झारखंड का विकास दर 7.1 प्रतिशत रहा. वर्ष 2024-25 में कांस्टेंट प्राइस पर विकास दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.
वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्व व्यय के लिए 91,832 करोड़, पूंजीगत व्यय के लिए 37,068 करोड़ का प्रस्ताव है. सामान्य प्रक्षेत्र के लिए 37,124 करोड़, सामाजिक प्रक्षेत्र के लिए 45,377 करोड़ और आर्थिक प्रक्षेत्र के लिए 46,399 करोड़ का उपबंध किया गया है.
2019-20 में राज्य के अपने श्रोतों से कुल आय 31 हजार 524 करोड़ रु. हुई थी. लेकिन 2024-25 में 70 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 53 हजार 543 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य रखा गया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में योजना मद में व्यय के लिए 52,283 करोड़ का बजट था. इसकी तुलना में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 52 प्रतिशत के इजाफे के साथ 79 हजार 782 करोड़ व्यय का प्रावधान है. स्थापना व्यय की तुलना में योजना व्यय में बढ़ोतरी हुई है. वित्त मंत्री के मुताबिक आर्थिक विकास में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है. 2019-20 में कुल प्राप्तियों में केंद्रीय अनुदान की राशि 18 प्रतिशत थी जो 2023-24 में घटकर 11 प्रतिशत रह गयी है. राजकोषीय घाटा पर नियंत्रण रखा गया है. 2019-20 में राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 2.44 प्रतिशत था जो 2024-25 में 2.02 अनुमानित है.
परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय में वृद्धि लाने की कोशिश लगातार की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2019.20 में पूंजीगत व्यय की राशि 14,276 करोड़ थी. लेकिन वित्तीय वर्ष 2024-25 में 160 प्रतिशत वृद्धि के साथ 37,068 करोड़ का अनुमान रखा गया है. बेहतर ऋण प्रबंधन के लिए सिंकिंग फंड में लगातार निवेश किया जा रहा है. पूर्व में लिए गये अधिक ब्याज दर के ऋण को चुकाने में सफलता मिली है. वित्त मंत्री के मुताबिक डॉयजे बैंक ने 17 राज्यों का वित्तीय मूल्याकंन करते हुए झारखंड राज्य को पांचवा स्थान दिया है. इसमें राजकोषीय घाटा, स्व-कर राजस्व, राज्य ऋण, जीएसडीपी अनुपात, राजस्व प्रांति में ब्याज भुगतान के प्रतिशत को आधार बनाया गया है.
- किस मद में कितनी राशि होगी खर्च
- प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा के लिए 12,314.21 करोड़
- ग्रामीण विकास के लिए 11,316 करोड़
- गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन मद में 9,527.20 करोड़
- ऊर्जा विभाग के लिए 9,378.49 करोड़
- बाल बजट की विभिन्न योजनाओं के लिए 8,866.69 करोड़
- सामाजिक सुरक्षा के लिए 8,021.92 करोड़
- स्वास्थ्य सुविधाओं के मद में 7,223 करोड़
- पथ निर्माण के लिए 6,398.28 करोड़
- ग्रामीण कार्य (सड़क) के लिए 5,114.03 करोड़
- अबुआ आवास योजना के लिए 4,831.83 करोड़
- जल जीवन मिशन के लिए 4,686.67 करोड़
- कृषि एवं संबद्ध प्रक्षेत्र के लिए 4,600 करोड़
- नगर विकास एवं आवास विभाग के लिए 3,429.86 करोड़
- एसटी,एससी,अल्पसंख्यक, पिछड़ा के लिए 3,011.65 करोड़
- मुख्यमंत्री सर्वजन पेंशन योजना के लिए 3,107.40 करोड़
- खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता के लिए 2,860.27 करोड़
- उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के लिए 2,411.77 करोड़
- जल संसाधन के लिए 2,238 करोड़
- पंचायती व्यवस्था सुदृढ़ीकरण के लिए 2,066.08 करोड़
- राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना के लिए 1,447.17 करोड़
- वन विभाग के लिए 1,371.39 करोड़
- पंचायती राज के लिए 1,385 करोड़
- मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना में मद में 200 करोड़
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मद में 50 करोड़
- आधारभूत संरचना के विकास और प्रशिक्षण के लिए 83.89 करोड़
- जिला स्तरीय सहकारी संघ लिमिटेड के लिए 24 करोड़
- शीतगृह के निर्माण के लिए 24.59 करोड़
- सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना मद में 468 करोड़
- श्रम, नियोजन प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिए 2.45 करोड़
- नागर विमानन के लिए 112.93 करोड़
- उद्योग विकास के लिए 484.87 करोड़
- भवन निर्माण विभाग के मद में 883.23 करोड़
- पर्यटन विभाग के लिए 336.16 करोड़
- सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गर्वनेंस के लिए 303.49 करोड़
- योजना एवं विकास विभाग के लिए 415.43 करोड़