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हाईकोर्ट ने कहा, यौन शोषण के शिकार बच्चे सबसे कमजोर वर्ग, इन्हें सशक्त बनाने के लिए वैधानिक सहायता प्रणाली जरूरी - ALLAHABAD HIGH COURT NEWS

हाईकोर्ट ने यौन अपराधों के ऐसे पीड़ितों को समर्थन देने के महत्व पर जोर दिया, जो समाज का सबसे कमजोर वर्ग है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट .
इलाहाबाद हाईकोर्ट . (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 22, 2024, 3:04 PM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत यौन अपराधों के ऐसे पीड़ितों को समर्थन देने के महत्व पर जोर दिया, जो समाज का सबसे कमजोर वर्ग है. न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि इन पीड़ितों को मानसिक आघात, सामाजिक हाशिये पर होने और संसाधनों की कमी सहित अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो न्याय पाने की उनकी क्षमता में बाधा पहुंचाते हैं.

कोर्ट ने यह आदेश तस्करी के आरोपी राजेन्द्र प्रसाद की जमानत अर्जी खारिज करते हुए दिया है. चार नवंबर 2022 से जेल में बंद राजेन्द्र प्रसाद के खिलाफ वाराणसी के चौबेपुर थाने में मुकदमा दर्ज है. उस पर पैसे के लिए अपनी 14 वर्षीय बेटी की तस्करी करने का आरोप है. कोर्ट ने कहा कि इसलिए कानूनी सहायता, चिकित्सा देखभाल और परामर्श जैसी वैधानिक सहायता प्रणालियां इन बच्चों को कानूनी प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से संचालित करने व सशक्त बनाने के लिए आवश्यक हो जाती हैं.

कोर्ट ने कहा कि कानून द्वारा गारंटीकृत सहायता प्रणालियों के अभाव में पॉक्सो एक्ट के तहत यौन अपराधों के पीड़ित बच्चे सक्षम न्यायालय के समक्ष अपने मामलों को प्रभावी ढंग से नहीं चला सकते हैं. यौन अपराधों के पीड़ित बच्चों का सशक्तिकरण न्याय की उनकी खोज में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है. यह उनके वैधानिक अधिकारों के फलस्वरूप प्राप्त किया जा सकता है.

पॉक्सो एक्ट द्वारा अदालती कार्यवाही के दौरान यौन अपराधों के पीड़ित बच्चों को दिए गए अधिकारों से वंचित करना कानून के विधायी इरादे को पराजित करेगा और न्याय की विफलता का कारण बनेगा. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि पीड़िता को किसी सहायक व्यक्ति और कानूनी परामर्शदाता के अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी. इसे देखते हुए न्यायालय ने आदेश में पुलिस, बाल कल्याण समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चिकित्सा अधिकारी और जिला प्रशासन पुलिस सहित विभिन्न प्राधिकारियों की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे पीड़ितों को उनका हक प्राप्त हो. कोर्ट ने आदेश की प्रति डीजीपी, एडीजीपी अभियोजन, महिला एवं बाल विकास को भेजने का निर्देश भी दिया है.

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