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लालकुआं बीजेपी नेता रेप केस: मुकेश बोरा को फिर लगा बड़ा झटका, HC ने खारिज की अग्रिम जमानत याचिका - BJP leader rape case

Lalkuan BJP leader rape case बीजेपी नेता व दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा को फिर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

Lalkuan BJP leader rape case
नैनीताल हाईकोर्ट से मुकेश बोरा को नहीं मिली राहत (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 21, 2024, 1:15 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महिला के साथ दुराचार करने व नाबालिग बच्ची के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपी लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत दिए जाने प्रार्थनपत्र पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. इससे पहले भी कोर्ट ने मुकेश बोरा के गिरफ्तारी पर रोक संबंधी प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था.

सुनवाई पर आरोपी की तरफ से कहा गया कि उनको अग्रिम जमानत दी जाए. क्योंकि इस मामले में उनको एक षडयंत्र के तहत फंसाया गया है. यह घटना 2021 की है. दो साल आठ माह बीत जाने पर अब उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. एफआईआर में कहीं भी छेड़छाड़ का आरोप नहीं है. बयान में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया. इसलिए उनके ऊपर पॉक्सो नहीं लग सकता. पुलिस ने उनके दोनों घरों का सामान लाकर थाने में जमा कर दिया. महिला उनपर बार बार दबाव डाल रही थी कि उसे नियमित किया जाए. जबकि वह संघ की कर्मचारी न होकर मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनी की कर्मचारी थी.

जब उनके द्वारा इस कंपनी का टेंडर निरस्त किया तो उन्होंने मिलकर इस षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसाया गया. जबकि सरकार व पीड़िता की तरफ से इसका विरोध कर कहा कि कुर्की हो चुकी है और अग्रिम जमानत प्रार्थनपत्र सुनने योग्य नहीं है. पीड़िता की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपी ने 2021 से लेकर अब तक उसका शोषण किया है और बार बार जान से मारने की धमकी दी जा रही. इसके सारे सबूत उनके पास हैं. अभी तक मुकेश बोरा ने अपना मोबाइल तक पुलिस को नहीं दिखाया. बार-बार पुलिस को चकमा दे रहे हैं. अपनी गिरफ्तारी से बचने से फरार चल रहे. निचली अदालत में बयान देते हुए नाबालिग ने कहा है कि उसके साथ छेड़छाड़ की है. इसलिए इनके ऊपर पॉक्सो की धारा लगती है. इसलिए इनकी अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को निरस्त किया जाए. पूर्व में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे जघन्य अपराधों के आरोपी को अंतरिम राहत देने से विवेचना में बाधा पहुंच सकती है और वह सबूत से छेड़छाड़ कर सकता है.
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