शिमला: हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल में वकीलों के नामांकन की प्रक्रिया से जुड़ा एक दिलचस्प मामला सामने आया है. बार काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश ने एक एलएलबी डिग्री धारक को काउंसिल में वकील के रूप में नामांकित करने से इनकार किया था. बार काउंसिल का तर्क था कि प्रार्थी वकील ने एलएलबी से पहले बीए की डिग्री पूरी नहीं की थी.
इस पर बार काउंसिल के फैसले को प्रार्थी इंदर पाल सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने मामले में रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि कानून के अनुसार बार काउंसिल का फैसला सही है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इंदर पाल सिंह की याचिका खारिज कर दी. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने की
ये है पूरा मामला
मामले के अनुसार, प्रार्थी इंदर पाल सिंह ने जून 2014 में नाहन स्थित माता बाला सुंदरी कॉलेज ऑफ लीगल स्टडीज में तीन साल की एलएलबी डिग्री कोर्स के लिए प्रवेश लिया था. प्रार्थी ने नवंबर 2014 में नाहन के उक्त संस्थान में कोर्स के प्रथम सेमेस्टर की नियमित परीक्षा दी. इस परीक्षा का परिणाम 9 अप्रैल 2015 को घोषित किया गया.
यहां गौरतलब तथ्य है कि एलएलबी कोर्स के लिए एडमिशन लेते समय प्रार्थी के पास बीए यानी स्नातक की डिग्री नहीं थी. प्रार्थी ने बीए फाइनल ईयर की परीक्षा मार्च 2015 में दी थी. इस परीक्षा का प्रमाण पत्र प्रार्थी को 27 जुलाई 2015 को जारी किया गया.