प्रयागराजः 17 साल जेल में बिता चुके अभियुक्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के फैसले में कई विसंगतियां हैं, जिससे पूरी जांच संदिग्ध हो जाती है. इसलिए अभियुक्त संदेह का लाभ पाने का हकदार है. अभियुक्त महफूज की सजा के खिलाफ़ अपील पर न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ ने यह आदेश दिया.
कन्नौज के कोतवाली में महफूज़ और मुद्दू पर दिनेश की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था. आरोप लगाया कि 19 अक्तूबर 2006 को दिनेश अपने भाई के साथ मछली बेचकर घर लौट रहा था. इसी दौरान महफूज और मुद्दू ने दिनेश को को रास्ते में रोक लिया और पैसे मांगे. जब दिनेश ने पैसे देने से इन्कार कर दिया तो मुद्दू ने उसे पकड़ लिया और महफूज ने पिस्तौल से गोली मार दी. जिससे दिनेश की मौत हो गई. दिनेश के भाई (शिकायतकर्ता) ने पूरी घटना खुद देखने का दावा किया था.
यह भी आरोप लगाया कि ग्रामीण घटनास्थल पर एकत्र हुए और मुद्दू को पकड़ने की कोशिश की, जिसे मामूली चोटें आईं थी, लेकिन वह अपनी बंदूक लहराते हुए भागने में सफल रहा. बाद में मुद्दू की मौत हो गई. इस घटना में दिनेश की मौत पर मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन मुद्दू की मौत पर कोई मुकदमा पुलिस ने दर्ज नहीं किया. ट्रायल कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मई 2013 में दिनेश की हत्या में महफूज को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. महफूज ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी.