रांचीः रंगों का त्योहार होली बेहद करीब आ चुका है. होली में रंग और गुलाल का बहुत महत्व होता है. अब लोग हर्बल गुलाल और रंगों को पसंद कर रहे हैं ताकि होली के दौरान चेहरे में केमिकल का रिएक्शन न हो जाए. यही वजह है कि अब राजधानी रांची में भी फल, फूल, पान पत्ता और मुल्तानी मिट्टी से बने रंग गुलाल बनाए जा रहे हैं. जिनकी मांग भी होली के बाजार में लगातार बढ़ रही है.
हाथों से रंग बनाकर शुरू किया था कारोबारः
रांची शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुपुदाना के साई मंदिर के पास आपको बेहद किफायती दर पर हर्बल रंग और गुलाल मिलेंगे. रांची के कारोबारी अंशुल गुप्ता ने पांच साल पहले फल, फूल, पान के पत्तो और मुल्तानी मिट्टी से रंग और गुलाल बनाना शुरू किया, जिसमें स्थानीय महिलाओं की बहुत ज्यादा भागीदारी रही. स्थानीय महिलाओं के इस के कारोबार से जुड़ने की वजह से अंशुल गुप्ता को लोकल फूल मिलने में काफी सहूलियत हुई. जब उनका कारोबार बढ़ा तो अब रंग-गुलाल बनाने के लिए मशीनें भी लगा ली गयी हैं, जिसके वजह से उत्पादन काफी बढ़ गया है. एक समय में कभी केवल रांची के बाजार में बिकने वाला रंग और गुलाल अब हरियाणा, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में भी बेची जा रही है.
बेहद सुरक्षित है हर्बल रंग और गुलालः
होली के अवसर पर कोई भी ऐसे रंग गुलाल का प्रयोग नहीं करना चाहता है, जिसकी वजह से उनका चेहरा खराब हो या फिर उसके केमिकल शरीर या त्वचा पर बुरा असर डाले. कारोबारी अंशुल गुप्ता और ग्रामीणों के सहयोग से जो हर्बल रंग गुलाल तैयार किया जा रहा है, वह पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों से बना हुआ है, इसमें किसी भी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है. फल, फूल और पान पत्ते को गाद के रूप में बदलकर उन्हें बेहद बारीक तरीके से गुलाल में ढाला जाता है. इसके अलावा इसमें मुल्तानी मिट्टी का भी प्रयोग किया जाता है.