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कालसी में है महाकाली का मंदिर, भर देती हैं भक्तों की झोली, जानिए प्राचीन इतिहास

उत्तराखंड के कालसी में प्राचीन सिद्धपीठ महाकाली का मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी.

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

Siddh Peeth Mahakali Temple Kalsi
सिद्धपीठ महाकाली मंदिर की महिमा (फोटो- ETV Bharat)

विकासनगर:देहरादून जिले के कालसी में प्राचीन सिद्धपीठ महाकाली का मंदिर मौजूद है. जिसकी महिमा दूर-दूर तक है. इस मंदिर के ठीक नीचे अमलावा नदी बहती हुई यमुना नदी में जाकर मिलती है. जिससे यहां का नजारा देखते ही बनती है. वैसे तो इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता साल भर लगा रहता है, लेकिन खास मौकों पर खासकर नवरात्रि में यहां आस्था का सैलाब देखने को मिलता है. माना जाता है कि कोई भी श्रद्धालु सच्चे मन से महाकाली के दर पर मन्नत मांगता है, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पांडव काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास:कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञात वास में थे तो उन्होंने यहां पर कुछ समय बिताया था. उस दौरान उन्होंने भगवती की पूजा करने के लिए मां काली की मूर्ति की स्थापना की थी. यहां मां की पूजा अर्चना करने के बाद उन्होंने लाखामंडल के लिए प्रस्थान किया था. यह मंदिर कालसी के कुछ ही दूरी पर कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर मौजूद है. श्रद्धालुओं का कहना है कि वो समय-समय पर माता रानी के दर्शनों के लिए मंदिर आते हैं. उन पर महाकाली का आर्शीवाद और कृपा बनी रहती है.

सिद्धपीठ महाकाली की महिमा (वीडियो- ETV Bharat)

श्रद्धालुओं बोले- बरसती है मां की कृपा:उत्तर प्रदेश के मेरठ से आए श्रद्धालुओं ने बताया कि वो साल 1971 से सिद्धपीठ महाकाली मंदिर कालसी आते रहते हैं. उन पर माता का नजर हमेशा से ही रहती है. वहीं, एक अन्य महिला श्रद्धालु ने बताया कि उनकी संतान नहीं थी. ऐसे में उनके भाई उन्हें लेकर माता रानी के दरबार कालसी ले जाए. जहां मां की कृपा से बेटी ने जन्म लिया. जिसके बाद वो बच्चों के साथ माता रानी के दरबार में प्रसाद चढ़ाने आई हैं.

सिद्धपीठ महाकाली का मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

सिद्धपीठ महाकाली मंदिर कालसी के पुजारी पंडित भारत भूषण शर्मा का कहना है कि इन दिनों शारदीय नवरात्रि चल रहे हैं. ऐसे में मां के दर्शनों के लिए दूर दराज से भक्त पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि महाकाली की पूजा करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं. मां भगवती का यह सिद्ध स्थान है. यहां हर शनिवार और रविवार को मां का भंडारा होता है.

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