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माध्यमिक शिक्षा निदेशक मामले में सरकार ने लिया एक्शन, HC ने याचिका की निस्तारित - Mahabir Singh Bisht

Director of Secondary Education case उत्तराखंड हाईकोर्ट में आज माध्यमिक शिक्षा निदेशक महाबीर सिंह बिष्ट मामले पर सुनवाई हुई. इसी बीच सरकार ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने मामले में एक्शन ले लिया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने की. पढ़ें पूरी खबर...

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 30, 2024, 5:03 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गढ़वाल मंडल के तत्कालीन अपर निदेशक और वर्तमान में निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) महाबीर सिंह बिष्ट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं किए जाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने महाबीर सिंह बिष्ट के ऊपर एक्शन ले लिया है. इसको आधार मानते हुए कोर्ट की खंडपीठ ने जनहित याचिका निस्तारित कर दी.

पिछली हुई सुनवाई पर राज्य सरकार ने कहा था कि इस पर, सरकार 10 दिनों के भीतर उक्त मामले में अपना निर्णय ले लेगी. जिस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार से 10 दिनों के भीतर की गई कार्रवाई पर शपथ पत्र पेश करने को कहा था. उक्त आदेश का पालन करते हुए आज राज्य सरकार ने रिपोर्ट दी. जिसके आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि आप इससे संतुष्ट नहीं, है तो फिर से कोर्ट में अपनी बात रख सकते हैं.

मामले के अनुसार देहरादून निवासी बेरोजगार संगठन के अध्यक्ष बॉबी पवार ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि गढ़वाल मंडल के अपर निदेशक पद पर रहते हुए महाबीर सिंह बिष्ट पर गंभीर आरोप हैं. विभागीय जांच में उन पर लगे आरोपों की पुष्टि हुई है, लेकिन शासन द्वारा अभी तक महाबीर सिंह बिष्ट के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई. यही नहीं आरोपित को सरकार ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा के पद का इंचार्ज बना दिया है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि गढ़वाल मंडल के अपर निदेशक पद पर रहते हुए महाबीर सिंह बिष्ट द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किया. बिष्ट द्वारा बीते वर्ष की सहायक अध्यापकों की स्थानांतरण सूची में छेड़छाड़ करने, अपने नजदीकी रिश्तेदार की नियुक्ति प्रक्रिया और बिना विधि की डिग्री पाए व्यक्ति को विधि अधिकारी नियुक्ति करने में अनियमितता की गई हैं. जनहित याचिका में आरोपित के खिलाफ कार्यवाही ई करने की मांग की गई है.

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