पटना :पटना हाई कोर्ट ने बिहार में बाल गृहों के कामकाज पर चिंता जताते हुए राज्य में ऐसे गृहों का हर महीने निरीक्षण करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया, जिनमें बाल गृहों में रहने वाले बच्चों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था.
बाल गृह पर HC का आदेश : कोर्ट ने कहा कि रिट याचिकाओं में लगाए गए आरोप और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के मामले, हमारे अनुसार उचित पर्यवेक्षण न होने के कारण हुए हैं. कोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीशों और जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया कि वे कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों को रखने वाले सभी पर्यवेक्षण गृहों और सुरक्षित स्थानों का मासिक निरीक्षण करें.
जिला न्यायाधीशों की अध्यक्षता में समिति का गठन :कोर्ट ने बाल गृहों की निगरानी के लिए जिला स्तरीय समितियों के गठन का भी आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि इन समितियों की अध्यक्षता जिला न्यायाधीश करेंगे. इसमें जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, चिकित्सा क्षेत्र, बाल संरक्षण इकाई और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य शामिल होंगे. समितियों को मासिक रूप से बाल देखभाल गृहों का निरीक्षण करना होगा और बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जो उन्हें किशोर न्याय समिति को अग्रेषित करेगी.
हलफनामा दाखिल करने का आदेश :कोर्ट ने 23 फरवरी, 2024 को राज्य सरकार के वकील को निर्देश दिया था कि वे एक हलफनामा दाखिल करें, जिसमें विशेष रूप से सुरक्षा गृहों में रखे गए नाबालिगों और वयस्कता प्राप्त कर चुके लड़कों और लड़कियों की सुरक्षा के लिए देखभाल गृह की संख्या, नाम और स्थान का उल्लेख हो. सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि बाल देखभाल सुविधाएं दो मुख्य श्रेणियों के बच्चों की देखभाल करती हैं. एक देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों (सीएनसीपी) के लिए और दूसरी कानून के साथ संघर्षरत बच्चों (सीसीएल) के लिए.