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महिलाओं के साथ दुष्कर्म और शोषण गंभीर मामला, इसका पढ़ाई से कोई लेना देना नहीं, सबको मिलकर समाधान करना होगा- HC - rape and exploitation of women

Uttarakhand High Court महिलाओं के साथ दुष्कर्म और शोषण की बढ़ती घटनाओं को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट से मांग की गई है कि वो सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश. इस मामले पर आज 2 सितंबर को हाईकोर्ट ने सुनवाई की.

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उत्तराखंड हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 2, 2024, 9:29 PM IST

Updated : Sep 2, 2024, 9:41 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में महिलाओं के साथ दुष्कर्म और शोषण की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस समस्या का समाधान करने हेतु जागरूक अधिवक्ताओं से दो सप्ताह में अपने सुझाव प्रस्तुत करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई की तिथि दो हफ्ते बाद की तय की है.

याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता सहित अन्य अधिवक्ताओं से इसके समाधान करने के लिए सुझाव प्रस्तुत करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि यह बड़ी गम्भीर समस्या है, जिसका पढ़ाई लिखाई से कोई नाता नहीं है. इसके समाधान करने के लिए सभी को एक साथ मिलकर आगे आना चाहिए. इसमे हर नागरिक की जिम्मेदारी होनी आवश्यक है. इसलिए इसको सफल बनाने में हर नागरिक की जागरूकता अभियान की जरूरत है.

कोर्ट ने कहा कि दोषियों को सजा देने के लिए देश में कड़े प्रावधान है, परन्तु उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए सीमित साधन. इसलिए इसके समाधान करने के लिए नए सुझाव पेश करें, ताकि ऐसी घटनाओं से निजात मिल सके. यह जनहित याचिका समाधान संस्था देहरादून की अध्यक्ष रेनू सरकार ने दायर की थी

याचिका में उन्होंने महिला उत्पीड़न रोकने के लिए प्रार्थना की है. संस्था की अधिवक्ता ने कोर्ट से मांग की है कि दुष्कर्म व उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को तत्काल प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं. साथ ही सरकार को स्कूलों में प्रशिक्षित सलाहकार नियुक्त कर छात्र-छात्राओं को महिला उत्पीड़न रोकने के लिए प्रशिक्षित किया जाए. हर स्कूल में योग्य सलाहकार हों और उनकी जानकारी शिक्षा विभाग में उपलब्ध हो.

इसके अलावा शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन जागरूकता कार्यक्रम स्कूल-कॉलेजों व सार्वजनिक स्थलों में कराए. महिला पुलिस की सार्वजनिक स्थल, स्कूल, बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन, एकांत क्षेत्र समेत लड़कियों के स्कूल गेट पर तैनाती हो. सिविल सोसाइटी, एनजीओ और महिला अधिकार संगठनों के साथ समन्वय बनाकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएं. इसमें जनजागरण, आत्म रक्षा प्रशिक्षण के अलावा यौन शिक्षा को अनिवार्य किया जाए. स्कूल के नोटिस बोर्ड में बाल सुरक्षा नंबर को निरंतर डिस्प्ले किया जाए और मीडिया के माध्यम से महिला हैल्पलाइन नंबर 1090/112 को प्रसारित और प्रचारित किया जाए.

याचिका में मांग की है कि सरकार को महिलाओं के फोन के लिए एक ऐप तैयार करने को कहा जाए, जिसमें परेशानी के वक्त प्रशासन को आसानी से संदेश दिया जा सके. गृह क्लेश व घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए आश्रय बनाने व मानसिक उत्पीड़न व हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए मनोचिकित्सक और स्वास्थ्य सहायता मुफ्त में उपलब्ध कराई जाए. साथ ही सरकार मोहल्लों में नारी सुरक्षा समिति का गठन कर महिला संगठन, एनजीओ और कानून के जानकारों को इससे जोड़े.

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Last Updated : Sep 2, 2024, 9:41 PM IST

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