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पीलिया होने पर न करें लापरवाही, तुरंत चिकित्सक से लें परामर्श - Health Tips

Jaundice Treatment in Ayurveda, मौसम में तब्दीली के साथ ही बीमारियों के होने का खतरा भी एकदम से बढ़ जाता है. वहीं, पीलिया एक ऐसी बीमारी है, जो दूषित भोजन, पानी और पेय पदार्थों के सेवन से होता है. ऐसे में इस बीमारी का आयुर्वेद में बेहतर उपचार है. चलिए इस बीमारी से बचने के तरीकों और इसके होने की सूरत में उपचार के बारे में जानते हैं.

Jaundice Treatment in Ayurveda
Jaundice Treatment in Ayurveda

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 21, 2024, 6:40 AM IST

जेएलएन अस्पताल के आयुर्वेद विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा

अजमेर. मौसम परिवर्तन के साथ ही कई तरह की बामारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. इन रोग में पीलिया भी शामिल है. मेडिकल की भाषा पीलिया को जोंडिस कहते हैं. पीलिया होने के कई कारण है, लेकिन इनमें मुख्य कारण दूषित भोजन, जल और पेय पदार्थ है. हमारे शरीर में लीवर का मुख्य काम खाने को पचाने का होता है. आयुर्वेदिक उपचार पद्धति में पीलिया का कारगर इलाज है. वहीं, कुछ नुस्खे भी हैं, जिनके उपयोग से पीलिया के मरीजों को फायदा होता है. चलिए अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के आयुर्वेद विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा से पीलिया होन के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं.

डॉ. मिश्रा बताते हैं कि शरीर में पाचक पित्त के विकृत होने से पीलिया नाम की बीमारी होती है. एलोपैथी में पाचक पित्त को बिलीरिबन के नाम से जाना जाता है. विकृत पित्त की रक्त में मात्रा बढ़ जाने से आंखों, नाखून और त्वचा का रंग हल्दी सा नजर आने लगता है, जिसको आम बोलचाल की भाषा में पीलिया कहा जाता है. उन्होंने बताया कि इस विकृत पित्त की मात्रा रक्त में अधिक होने से मस्तिष्क में सूजन आ जाती है. साथ ही मस्तिष्क की कार्य क्षमता कम हो जाती है. इस स्थिति में यह हेपेटाइटिस का रूप ले लेता है. यकृत (लीवर) में पाचक पित्त के सूख जाने से रक्त कण बनाना काम हो जाता है, जिससे शरीर में पीलापन आने लगता है.

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पीलिया के लक्षण :वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि लीवर में सूजन, भूख नहीं लगाना, सिर दर्द, बुखार, घबराहट, पेट का फूलना (आफरा आना), काम में मन न लगना, शरीर में थकान, कमजोरी, चक्कर आना, नाखून और आंखों में पीलापन नजर आना, मूत्र का रंग पीला होना, मल का रंग बदलना आदि पीलिया के लक्षण हैं.

पीलिया होने के कारण :डॉ. मिश्रा बताते हैं कि मौसम में बदलाव के समय पीलिया होने की संभावना अधिक रहती है. सर्दी के बाद गर्मी बढ़ने पर खानपान में असावधानी से पीलिया होने की संभावना अधिक होती है. दरअसल, गर्मी पड़ने पर खाद्य सामग्री ताजा ही इस्तेमाल की जानी चाहिए. डिब्बा बंद खाद्य सामग्री, बाजार में बनने वाली खाद्य सामग्री का इस्तेमाल कम किया जाना चाहिए. घर पर ताजा बना हुआ भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. गर्मी के कारण भोजन में जल्द बैक्टीरिया पनप जाते हैं. ऐसे भोजन का सेवन करने से पीलिया हो जाता है. दूषित जल और अन्य पेय पदार्थों के सेवन के कारण भी हो जाता है.

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जरूर करें ये काम : डॉ. मिश्रा ने बताया कि फल और सब्जियां खाने से पहले अच्छे से धोना चाहिए. भोजन करने से पहले हाथों को अच्छे से धोना चाहिए. उन्होंने बताया कि मौसम परिवर्तन होने पर पानी को उबालकर ठंडा करके पिएं. ताजा रसदार फल का सेवन करें. अंगूर, तरबूज, नींबू पानी, टमाटर का रस, मूली का सेवन सर्वोत्तम उपचार है. इनके अलावा पपीता, चकुंदर और गन्ने को चूसना भी फायदेमंद रहता है. टमाटर का रस और सूप, पेठे का भी सेवन लाभदायक है.

अंधविश्वास में न पड़े : पीलिया को लेकर लोगों में अंधविश्वास है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में पीलिया होने पर लोग झाड़ फूंक करवाने लगते हैं. इस कारण उपचार नहीं लेने से पीलिया हेपेटाइटिस में बदल जाता है, जो घातक होता है. ऐसे में पीलिया के लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेकर ही उपचार करना चाहिए.

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ये नुस्खे भी हैं कारगर : डॉ. मिश्रा बताते हैं कि कुटकी, चिरायता और भूमि आंवला मिश्रित चूर्ण या इस चूर्ण को पानी में उबालकर सेवन करने से रोगी को जल्द आराम मिलता है. 20 एमएल मिश्रित चूर्ण सुबह शाम लेना चाहिए. इसके अलावा अरहर की दाल के पत्ते और करेले के पत्ते को पानी में उबालकर इसका रस निकाले और उसे 20 एमएल पानी में डालकर सुबह-शाम पिएं. इससे मरीज को अधिक लाभ होगा.

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