अजमेर.वर्तमान दौर में कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल का उपयोग अधिक बढ़ गया है. लोग ज्यादातर समय स्क्रीन को देने लगे हैं. इस कारण लोगों की जीवन शैली भी अनियमित हो गई है, जिसके चलते लोग समय पर भोजन नहीं करते. वहीं, कई लोग भोजन करने के उपरांत लेट जाते हैं. इस कारण शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं और कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं. इनमें माइग्रेन भी शामिल है. आम बोलचाल की भाषा में माइग्रेन को आधाशीशी और आयुर्वेद में अर्धावभेदक भी कहते हैं. इसमें रोगी को आम सिर दर्द के मुकाबले तीव्र सिर दर्द होता है. आयुर्वेद पद्धति में माइग्रेन का बेहतर इलाज संभव है. वहीं, कुछ घरेलू नुस्खे भी माइग्रेन को खत्म करने के लिए कारगर हैं.
अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि शरीर में वायु और पित्त का प्रकोप बढ़ने से सिर दर्द की समस्या होती है. शरीर में एसिड ज्यादा बनता है. इस कारण खाना खाने के बाद पेट में गैस की समस्या होती है. पाचन के लिए समायिक पंचक पित्त बनता है तो भोजन पचता है, लेकिन भोजन के तुरंत बाद सोने या लेटने से पंचक पित्त अन्य नलिका में रहकर विकृत हो जाता है. इससे एसिड (अम्लता) का रूप ले लेता है, जिस कारण वायु और विकृत पित्त मिलकर उधर्व गति (ऊपर की ओर) से तीव्र सिरेशूल यानी माइग्रेन उत्पन्न करता है. इससे आधे सिर में या आगे की ओर तीव्र दर्द होता है.
माइग्रेन के लक्षण :माइग्रेन होने पर रोगी को उल्टी करने का मन करता है. उसके व्यवहार में चिड़चिड़ापन और उसकी आंखें लाल हो जाती हैं. तेज सिर दर्द होने के साथ ही बेचैनी बढ़ने लगती है. ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है. कभी-कभी चक्कर भी आने लगते हैं और काम में मन नहीं लगता. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि यह स्थिति लंबे समय तक रहती है तो हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है. माइग्रेन की लगातार समस्या के कारण रोगी को मानसिक अवसाद भी होने लगता है.
माइग्रेन होने पर यह करें :डॉ. बीएल मिश्रा ने बताया कि शीत और स्निग्ध गुना युक्त भोजन और फलों का उपयोग करना फायदेमंद रहता है. मसलन श्रीखंड, दूध की ठंडाई, बड़े आकार का बोर, आगरा का पेठा, रसगुल्ला, सौंफ का शरबत आदि का सेवन करने से भी रोगी को लाभ होता है. खाना खाने के तुरंत बाद सोना या लेटना नहीं चाहिए. इसके अलावा पानी थोड़ा-थोड़ा करके पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए.