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स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने अस्पताल को बताया मंदिर, कहा- मरीज ही नारायण और चिकित्सक करें उनकी पूजा - स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया

Fourth Convocation Ceremony of Jodhpur AIIM, जोधपुर एम्स के चौथे दीक्षांत समारेाह को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि हमारा जज्बा ऐसा होना चाहिए कि हम दूर सुदूर जाकर स्वेच्छा भाव से काम करें, न कि सेवा के लिए सरकारी बांड की जरूरत पड़े.

Fourth Convocation Ceremony of Jodhpur AIIM
Fourth Convocation Ceremony of Jodhpur AIIM

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 3, 2024, 5:21 PM IST

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया

जोधपुर.एक दिवसीय दौरे पर शनिवार को जोधपुर पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जोधपुर एम्स के चौथे दीक्षांत समारेाह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों पर किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं होती हैं, लेकिन जब आप डॉक्टर बनकर समाज में जाते हैं तो आपका सामाजिक दायित्व एकदम से बढ़ जाता है. उन्होंने अस्पताल को मंदिर और मरीज को नारायण बताते हुए कहा कि डॉक्टर पुजारी की तरह हैं, जिन्हें मरीज की सेवा करनी होती है. आगे उन्होंने सभी से स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की अपील की और कहा कि हमारा जज्बा ऐसा होना चाहिए कि हम दूर सुदूर जाकर स्वेच्छा भाव से काम करें, सेवा के लिए सरकारी बांड की जरूरत नहीं होनी चाहिए.

दो साल करें दूरस्थ इलाकों में सेवा :मंडाविया ने कहा कि आप यह भी तय कर सकते हैं कि दो साल आप सरकारी सेवा में ऐसे अस्पतालों में काम करेंगे, जो दूर दराज के इलाकों में स्थित हो. इससे स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह आपके जीवन की दूसरी पारी होती है. इसमें सामाजिक दायित्व के साथ-साथ आर्थिक जिम्मेदारी भी है, जिसे आपको पूरा करना होता है. जब आप पढ़ाई करते हैं तो समाज के दो वर्ग इनमें एक माता-पिता और दूसरा आपका शिक्षक वर्ग को आपसे अपेक्षा होती है. वहीं, डिग्री मिलने पर सबसे अधिक खुशी माता-पिता को होती है. साथ ही आपके शिक्षक प्रसन्न होते हैं.

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शिक्षक और संस्थान को कभी मत भूलना:स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जिस टीचर व संस्थान में आपने पढ़ाई की है, उसे कभी मत भूलिएगा. उन्हें हमेशा याद रखिएगा. आगे उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि आज जब भी वो अपने प्राइमरी स्कूल के टीचर मिलते हैं तो वो इस बात से गौरवान्वित होते हैं कि उनका शिष्य आज आरोग्य मंत्री है. वहीं, इस दीक्षांत समारेाह में कुल 22 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक और 779 से अधिक को डिग्रिया प्रदान की गई.

डॉक्टरी कोई व्यवसाय नहीं :केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम मरीज को नारायण का स्वरूप मानते हैं. ऐसे में अस्पताल मंदिर की तरह होता है, जहां डॉक्टर पुजारी की भूमिका में होता है और उसकी जिम्मेदारी होती है कि वो मरीज की सेवा करें. अगर आप इस भाव से काम करेंगे तो हमेशा आगे बढेंगे. यह हमारी सांस्कृतिक वेल्यू भी है. हमारे यहां डॉक्टरी व्यवसाय नहीं है, बल्कि सेवा माना गया है. उन्होंने कहा कि जब कोरोना के हालात थे तो दुनिया देखती थी कि भारत में होने वाली मौतों से ही हालात का पता चलेगा. मेरी कई देशों के मंत्रियों से बात होती थी तो कहते थे कि हमारे यहां एक भी डॉक्टर या पैरामेडिकल स्टाफ ने छुट्टी नहीं ली.

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भारत में ब्रेन की कमी नहीं :डॉ. मंडाविया ने कहा कि हमारे देश में ब्रेन पावर और मैन पावर की कोई कमी नहीं है. जरूरत है इस शक्ति को दिशा देने की, जिसे पीएम मोदी ने दी है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना के दौरान पीएम ने देश के वैज्ञानिकों से बात की तो उन्होंने कहा कि वायरस अनोन है, लेकिन वैक्सीन काम करेगी. पीएम ने वैज्ञानिकों से कहा कि सफलता आपकी निष्फलता मेरी होगी. मेरा आप सब पर भरोसा है, जिसके बाद भारत के वैज्ञानिकों ने कोरोना की वैक्सीन बनाकर दुनिया को दी.

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