बेतिया:आपने जामुन कई तरह के देखे होंगे. कई रंग के देखे होंगे. बैंगनी और काले कलर के जामुन तो आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन आपने सफेद कलर का जामुन नहीं देखा होगा. आज हम आपको सफेद कलर का जामुन दिखाएंगे और उसकी खूबियों को बताएंगे. जब आप सफेद कलर के जामुन की खूबियों के बारे में जानेंगे और उससे होने वाले फायदे के बारे में जानेंगे तो आप हैरान हो जाएंगे.
बेहद स्वादिष्ट होता है सफेद जामुन: यह सफेद कलर का जामुन या वैक्स जम्बू हर जगह नहीं पाया जाता. लेकिन पश्चिमी चंपारण जिले में इस जामुन की बागवानी होती है और इसकी बागवानी कर किसान मालामाल हो रहे हैं. बेहद पौष्टिक होने के कारण बाजार में इस सफेद जामुन की कीमत 400 से 500 रुपए प्रति किलो तक है.
अलग-अलग नामों से जाना जाता है: पश्चिम चम्पारण जिले के मझौलिया प्रखंड के बनकट मुसहरी गांव के रहने वाले किसान रविकांत पांडे इन दोनों सफेद जामुन की बागवानी कर रहें हैं और उनकी आमदनी भी बढ़ रही है. सफेद जामुन की बागवानी मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में की जानती है और यह सफेद जामुन वहीं का मुख्य फल बताया जाता है. इस सफेद जामुन को कोई रोज एप्पल कहता है तो कहीं वाटर एप्पल के नाम से जानता है.
किसानों को हो रहा फायदा:कहीं इसे गुलाब जामुन भी कहा जाता है. लेकिन इसका मुख्य रंग सफेद होता है. यही कारण इसे सफेद जामुन ही कहा जाता. किसान रविकांत पांडे बताते हैं कि भारत में सफेद जामुन की बागवानी ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ही की जाती रही है. लेकिन अब इसे बिहार के किसान भी अपनाने लगे हैं और उसकी बागवानी के बारे में जानकारी इकट्ठा कर, प्रशिक्षण ले अब वह अपने क्षेत्र में सफेद जामुन की बागवानी कर रहे हैं. मझौलिया के किसान रविकांत पांडे ने बताया कि वह सफेद जामुन की बागवानी सफलता पूर्वक कर चुके हैं.
"इस सफेद जामुन से बहुत सारे फायदे हैं. यह फल औषधि के रूप में भी जाना जाता है और यह बेहद ही खास फल है. जिसके खाने के तरीके हैं और इसके अनेक अलग-अलग फायदे हैं. सफेद जामुन की आकृति घंटीनुमा होती हैं. पूरी तरह से तैयार हो जाता है तो इसका कलर गुलाबी और सफेद हो जाता है. यह बेहद ही मीठा फल होता है. खाना खाने के समय लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है. कोई इसे सलाद में शामिल कर खाता है."-रविकांत पांडे, किसान
मार्च में शुरू होती है सफेद जामुन की बागवानी: किसान रविकांत ने बताया कि इसकी बागवानी मार्च से शुरू होती है और मानसून आते-आते इसके फलों को तोड़ दिया जाता है. इस सफेद जामुन के पेड़ में मार्च के महीने से मंजर आने लगते हैं और अप्रैल के आखिरी तक पेड़ों पर फल लटकने लगते हैं और मॉनसून आने से पहले ही इन फलों को तोड़ लिया जाता है.