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चौपाल के 7 गांवों को रोजाना पीने का पानी मुहैया करवाए जल शक्ति विभाग, लोगों को प्यासा नहीं मार सकते: HC - drinking water is fundamental right - DRINKING WATER IS FUNDAMENTAL RIGHT

हिमाचल हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर फैसला देते हुए पीने के पानी का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन के अधिकार में वर्णित है. 27 मई को जलशक्ति विभाग ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया था कि मेन लाइन में पानी की कमी के कारण इन गावों में पानी की आपूर्ति नहीं दी जा रही है. कोर्ट ने इस तथ्य को अस्वीकार करते हुए कहा था कि हम लोगों को प्यासे नहीं रख सकते.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 19, 2024, 6:57 PM IST

Updated : Jul 19, 2024, 8:28 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जलशक्ति विभाग को आदेश जारी कर चौपाल के सात गांव को रोजाना पीने का पानी मुहैया करवाने को कहा है. कोर्ट ने विभाग को यह व्यवस्था टैंकर्स अथवा किसी अन्य साधनों से सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं. मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि पीने के पानी का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन के अधिकार में वर्णित है.

दरअसल जिला शिमला की तहसील चौपाल के गांव शिला, बडलोग, शापरा कोट, नाहर, थलोग, गगना और बागना के बाशिंदों को पीने के पानी की समस्या को लेकर प्रार्थी देवेंद्र सिंह ने जनहित याचिका दायर की है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि संबंधित क्षेत्र में जो बिजली का ट्रांसफार्मर जल गया था,उसे बदल दिया गया है. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि केवल 28 परिवारों को छोड़कर अन्य ग्रामवासियों को रोजाना पानी नहीं दिया जा रहा है.

इस पर कोर्ट ने सभी सात गावों के लोगों को पीने का पानी रोजाना मुहैया कराने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि 27 मई को जलशक्ति विभाग की ओर से इस जनहित याचिका में एक स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि मेन लाइन में पानी की कमी के कारण इन गावों में पानी की आपूर्ति नहीं दी जा रही है. कोर्ट ने इस तथ्य को अस्वीकार करते हुए कहा था कि हम लोगों को प्यासे नहीं रख सकते.

कोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय के माध्यम से एग्जीक्यूटिव इंजीनियर नेरवा और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रोहडू को उपरोक्त आदेशों की सूचना देने के आदेश भी दिए. गांव के लोग लंबे समय से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. स्थानीय निवासियों ने वाटर स्कीम प्रोजेक्ट वर्क की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं. मामले पर सुनवाई 23 अगस्त को निर्धारित की गई है.

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Last Updated : Jul 19, 2024, 8:28 PM IST

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