हजारीबाग:शहर के मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर बड़कागांव मार्ग पर कटकमदाग प्रखंड के खपरियावां गांव में स्थित ऐतिहासिक नरसिंह स्थान मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है. स्थानीय लोग इस मेले को केतारी मेला भी कहते हैं. जिसमें कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं.
हजारीबाग के खपरियावां में नरसिंह मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेला का आयोजन किया जाता है. जिसे स्थानीय लोग केतारी मेला भी कहते हैं. अति प्राचीन धरोहर लगभग साढ़े चार सौ वर्ष के इतिहास को संजोए हुए है यह मंदिर. यहां भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है. जो काले रंग के ग्रेफाइट पत्थर की बनी है. यहां गर्भ गृह में भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव विराजमान हैं. यहां स्थापित शिवलिंग जमीन से तीन फीट नीचे है. गर्भ गृह में शिव के साथ विष्णु भगवान के विराजमान रहने का अद्भुत संयोग है, जो वैष्णव और शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
इसके अलावा भगवान सूर्य देव, नारद, शिव पार्वती और नवग्रह के प्रतिमा दर्शनीय हैं. गर्भगृह के बाहर हनुमान जी की प्रतिमा है. यहां सालों भर दर्शन पूजन करने श्रद्धालु आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूजा का अपना एक अलग महत्व है. कार्तिक और माघ महीने में भक्तों की भीड़ यहां बढ़ जाती है. यहां मुंडन, उपनयन, शादी विवाह व अन्य धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं.
श्री नरसिंह मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. इसकी स्थापना 1632 ई. में पंडित दामोदर मिश्र ने की थी. वो संस्कृत और ज्योतिष के विद्वान होने के साथ-साथ तांत्रिक भी थे. देवी के उपासक पंडित दामोदर मिश्र ने स्वप्न देखा था कि नेपाल के काक भूसारी पर्वत में भगवान नरसिंह के प्रतिमा है. जब पंडित दामोदर मिश्र वहां गए और उन्होंने अपने स्वप्न में देखे हुए जगह की तलाश की, तो उन्हें वह मूर्ति मिली. जिस मूर्ति को हजारीबाग के खपरियावां मंदिर में स्थापित की. जो बाद में नरसिंह स्थान के रूप में जाना जाने लगा है.