लखनऊ : लोकसभा चुनाव में भाजपा की कोशिश यूपी की 80 सीटें जीतने की थी, लेकिन जब परिणाम आया तो खाते में केवल 33 सीटें आईं. जिसके पीछे सबसे बड़ी वजह बताई गई कि ओबीसी और दलित वोट भारतीय जनता पार्टी से खिसक गए. जिसमें सबसे बड़ा नुकसान पिछड़ों के खिसकने से हुआ था. समाजवादी पार्टी ने PDA का नारा दिया था जो भाजपा पर भारी पड़ा. जबकि हरियाणा चुनाव में इसके विपरीत हो गया. हरियाणा में में बीजेपी की जीत के जो अब तक इनपुट आ रहे हैं, उनके मुताबिक ओबीसी का वोट पार्टी को जमकर मिला है. पार्टी ने चुनाव से कुछ समय पहले मुख्यमंत्री बदला था और पंजाबी समाज के जगदीश खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया. इसका असर साफ देखने को मिला. यह तय हो गया है कि हरियाणा में मिली जीत के पीछे की रणनीति भारतीय जनता पार्टी अब उत्तर प्रदेश के उप चुनाव में भी लागू करेगी और ओबीसी को अधिक साधेगी. जिसको लेकर पिछड़ा वर्ग मोर्चा अब अलग-अलग अभियान शुरू करेगा.
पिछड़ा वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास:हरियाणा के परिणाम के बाद भाजपा अब उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए अब और प्रयास करेगी. फिलहाल यूपी में 50 प्रतिशत से अधिक वोटर ओबीसी वर्ग के हैं. जिसको लेकर सबसे अधिक सक्रियता पिछड़ा वर्ग मोर्चा की होगी. जिसे अपने संगठन के माध्यम से जमीन तक जाकर यह संदेश देना होगा कि पार्टी ओबीसी वर्ग से जुड़ी हुई है. ना तो उनके आरक्षण के साथ में कोई गड़बड़ होगी और न ही उनका हक मारा जाएगा. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पद्धति सूत्रों ने बताया कि इसको लेकर पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के बीच उत्तर प्रदेश में तीन दिन तक मंथन हुआ था. जिसमें इस धारणा को काटने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए कहा गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. हरियाणा के चुनाव परिणाम में इस पूरे अभियान में और संजीवनी फूकने का काम किया है.