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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 4 hours ago

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हिमंता, निशिकांत संग हरिनारायण ने की अमित शाह से मुलाकात, घटवाल जाति को आदिवासी में शामिल करने पर चर्चा - Ghatwal caste included in tribal

Ghatwal Caste. झारखंड में घटवाल जाति को आदिवासी में शामिल करने का मुद्दा आगामी चुनाव के मद्देनजर बढ़ने लगा है. इसी को लेकर हिमंता बिस्वा सरमा, निशिकांत दुबे संग पूर्व मंत्री हरिनारायण राय ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की.

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अमित शाह से मुलाकात (ETV BHARAT)

गोड्डा:केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूर्व मंत्री हरिनारायण राय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में मुलाकात की. इस दौरान घटवाल जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया. प्रतिनिधिमंडल में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के साथ-साथ गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे भी शामिल थे. सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस जानकारी को साझा किया.

गौरतलब है कि भुइयां-घटवाल को आदिवासी में शामिल करने की मांग सालों से उठती रही है, चुनाव के वक्त इस तरह की मांग में तेजी आ जाती है. बता दें कि संथाल में कुछ सीटों पर भुइयां-घटवाल मतदाता निर्णायक होते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इनका झुकाव भाजपा के पक्ष में रहा है. हाल में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे की मुलाकात पूर्व मंत्री हरिनारायण राय से उनके घर पर हुई थी. जहां राजनीतिक महकमे में मुलाकात की खूब चर्चा रही.

संथाल की कुछ सीटों पर घटवाल जाति का अधिक प्रभाव

बता दें कि हरिनारायण राय एक मात्र घटवाल जाति से है, जो दो बार निर्दलीय विधायक और पूर्व में मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी और झामुमो से चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वह भाजपा के पाले में जाकर भाजपा के जरिए भाग्य अजमा सकते हैं. घटवाल जाति का प्रभाव संथाल की कुछ सीटों पर अधिक है, उनमें ज्यादातर हिस्सा गोड्डा लोकसभा के अंतर्गत आता है. ऐसे में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे की रुचि जायज है और रही बात घटवाल और खेतोरी जाति की तो आदिवासी में शामिल करने की मांग लंबे समय से हो रही है.

इस जाति को लेकर ऐसा मानना है कि इनका जीवन और रहन-सहन आदिवासियों की भांति ही है, लेकिन आज तक सभी राजनीतिक दलों से सिर्फ इन्हें आश्वासन ही मिला है. झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में एक बार फिर इन सभी जाति को आदिवासी में शामिल करने की मांग का मुद्दा फिर से चर्चा में है और इसी बहाने भेंट मुलाकात का दौर शुरू हो गया है.

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