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हरिद्वार पुलिस ने गोपाल हत्याकांड का किया खुलासा, दोस्तों ने की थी हत्या

हरिद्वार पुलिस ने गोपाल हत्याकांड में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी मृतक गोपाल के दोस्त हैं.

ACCUSED ARRESTED IN MURDER CASE
हरिद्वार पुलिस ने गोपाल हत्याकांड का किया खुलासा (photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

हरिद्वार: श्यामपुर क्षेत्र में मिले अधजले शव मामले में पुलिस ने कांगड़ी के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. दरअसल इस हत्याकांड में अभी तक पुलिस के शक की सुई मृतक की पत्नी पर घूम रही थी, लेकिन छानबीन में सामने आया कि मृतक गोपाल के ही दो साथियों ने पैसों के लालच और गुस्से में उसे मौत के घाट उतारा था. पहचान ना हो पाए, इसके लिए उन्होंने शव को आधा जला दिया था.

आरोपियों ने अपना गुनाह छिपाने के लिए एक निर्दोष दुकानदार को फंसाने की साजिश रची थी, लेकिन पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल के निर्देश पर सीओ सिटी जूही मनराल के नेतृत्व में श्यामपुर थानाध्यक्ष नितेश शर्मा की टीम ने 48 घंटे के भीतर केस का पर्दाफाश किया और एक बेगुनाह दुकानदार को जेल जाने से भी बचा लिया. बता दें कि 3 नवंबर को श्यामपुर क्षेत्र में उमेश्वर धाम के सामने एक युवक का अधजला शव मिला था. शव की पहचान गोपाल के रूप में उसकी पत्नी अनिता ने की थी. गोपाल के भाई नीरज कुमार की शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था.

एसएसपी ने एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह को पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी देते हुए सीओ सिटी जूही मनराल की लीडरशिप में टीमें गठित की गईं, जिसकी विवेचना थानाध्यक्ष श्यामपुर नितेश शर्मा को सौंपी गई. शुरुआती जानकारी जुटाने पर सामने आया कि शराब पीने के चलते गोपाल की अपनी पत्नी से अनबन रहती है और अक्सर झगड़ा होता रहता है, जिससे वह अपने घर पर कम आता था.

जानकारी करने पर मृतक की पत्नी की इस वारदात में किसी प्रकार की संलिप्तता नहीं मिली. इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल डाटा एकत्र करने पर प्रकाश में आया कि कांगड़ी शराब के ठेके पर तीन लोगों के बीच झगड़ा हुआ था. सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने पर उसमें गोपाल और उससे झगड़ रहे युवकों की पहचान रविन्द्र व मोहित के रुप में हुई. दोनों ही युवक शराब पीने के आदी थे.

जांच में यह भी पता चला कि रविन्द्र अक्सर नशे में बुजुर्गों/बड़ों से बदतमीजी करता था और ज्यादा नशे में होने पर कभी किसी के छिटपुट पैसे भी निकाल लेता था. खोजबीन के बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया, तो उन्होंने शराब पीने और नशा ज्यादा होने पर गोपाल की हत्या करने की बात स्वीकार की, लेकिन ठेके के बराबर में खोका लगाकर नमकीन और सोडा समेत छुटपुट सामान बेचने वाले राजन नामक व्यक्ति की भी हत्या में शामिल होने की बात कही, लेकिन कई तरीकों से क्रॉस चेक करने पर सभी बातें झूठी साबित हुईं और एक निर्दोष खोका संचालक राजन जेल जाने से बच गया.

नशा होने पर जब मृतक गोपाल ने रविन्द्र और मोहित के लिए उसकी पत्नी को टोके जाने पर अभद्र भाषा का उपयोग किया, तो गुस्से और नकदी के लालच में दोनों ने गोपाल को ठिकाने लगाने का विचार कर लिया और सुबह से शाम तक कुछ-कुछ घंटों के अंतराल में बैठकर शराब पी. 2 अक्टूबर की रात को लगभग 10:30 बजे तीसरी बार मिल-बैठकर शराब पीने के दौरान गोपाल ने फिर से अभद्र भाषा का उपयोग किया, तभी रविन्द्र ने गोपाल को मुख्य सड़क से धक्का देकर नीचे गिराया. फिर नीचे झाड़ियों के पास गिरे गोपाल तक पहुंचकर दोनों ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी.

दोनों ने मिलकर गोपाल के पैसे और आधार कार्ड चुरा लिया और ये सोचकर कि गोपाल यहां का रहने वाला नहीं है, इसलिए अगर इसकी पहचान छुपा देंगे तो कोई पहचान नहीं पाएगा, तब पहचान मिटाने के लिए शराब छिड़ककर लाश को आग लगा दी. आग की ऊंची लपटें देखकर उन्हें लगा कि शरीर पूरा जल जाएगा और पहचान छुप जाएगी, इसलिए वो दोनों मृतक के बैग से आधार कार्ड और नकदी लेकर वहां से भाग गए.

शव का आधा जलने और धीरे-धीरे पुलिस की छानबीन का पता चलने पर दोनों भागने के इरादे से घर से निकले थे, लेकिन पुलिस ने योजना विफल करते हुए उन्हें धर लिया. दोनों आरोपियों से फिर पूछताछ करने पर सामने आया कि पकड़े जाने पर दोनों ने राजन का नाम इस वजह से लिया था, क्योंकि राजन की वित्तीय हालत इन दोनों से काफी बेहतर थी, इसलिए इनका सोचना ये था कि जेल चले गए तो जमानत लेने के लिए राजन एक सीढ़ी साबित हो सकता है.

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