लखनऊ :साल 2025 में हज यात्रा पर जाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी है. उत्तर प्रदेश हज कमेटी के सचिव एसपी तिवारी ने बताया कि हजियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हज समिति ऑफ इंडिया ने आवेदन की तिथि 3 बार बढ़ाई थी. अंतिम तिथि 30 सितंबर 2024 तक थी. अब इसके बाद कोई नया आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा.
बार-बार बढ़ाई गई तिथि:एसपी. तिवारी ने बताया कि हज कमिटी आफ इंडिया ने पहले आवेदन की अंतिम तिथि 9 सितंबर 2024 घोषित की थी. इसे बढ़ाकर 23 सितंबर किया गया. इसके बाद इसे बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि यह निर्णय हज समितियों, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और पासपोर्ट कार्यालयों में छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था. इस साल हज यात्रा के लिए 17,120 लोगों ने पंजीकरण कराया है.
कोरोना काल से भी कम:आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में उत्तर प्रदेश से 9500 हाजी हज यात्रा पर गए थे. उस वक्त सऊदी सरकार ने कई पांबदियां लगाई थी. इसकी वजह से उत्तर प्रदेश से सिर्फ करीब 9500 हजार ही यात्रा पर जा सके थे. साल 2022 में उत्तर प्रदेश से करीब 28000 हाजी हज यात्रा पर गए थे जबकि 2023 में उत्तर प्रदेश से 19500 हाजी हज यात्रा पर गए थे. इस साल सबसे कम हज यात्रियों ने हज 2025 के लिए आवेदन किया है.
2025 हज यात्रा के लिए सभी प्रशासनिक कार्य अक्टूबर तक पूरे करने अनिवार्य हैं. एसपी तिवारी ने कहा कि हज कमेटी आफ इंडिया के द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार ही सभी प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा. अब कोई भी व्यक्ति 2025 की हज यात्रा के लिए आवेदन नहीं कर सकेगा. 30 सितंबर को आवेदन प्रक्रिया समाप्त हो गई है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हज यात्रा के सभी महत्वपूर्ण कार्यों को तय समय सीमा के भीतर ही पूरा करने के उद्देश्य से तारीख में आगे कोई और विस्तार नहीं किया गया है.
संख्या कम होने के कई कारण
महंगाई:उत्तर प्रदेश में हज यात्रा के लिए आवेदन संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इस पर ईटीवी भारत ने विभिन्न मुस्लिम धर्मगुरुओं से बातचीत की, जिसमें लखनऊ के प्रसिद्ध धर्मगुरु मुफ्ती अबुल इरफान फिरंगी महली ने कई कारण बताए. उन्होंने कहा कि पहली वजह मौजूदा आर्थिक हालात हैं, जहां महंगाई और बेरोजगारी के चलते लोग हज के लिए आवेदन करने से पीछे हट रहे हैं. हज की लागत भी अब पहले से ज्यादा हो गई है, जो एक बड़ा कारण है.
मक्का में गर्मी: मुफ्ती महली ने दूसरी वजह गर्मी को बताया. पिछले साल मक्का में भीषण गर्मी के कारण करीब 500 हाजियों की मौत हो गई थी, जिससे इस साल लोग डर के चलते कम आवेदन कर रहे हैं. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उमरा करने का चलन भी बढ़ रहा है, जो कम समय और खर्च में हो जाता है. इस वजह से भी लोग हज की जगह उमरा को प्राथमिकता दे रहे हैं, खासकर रमजान में, जब उमरा करने वालों की संख्या हाजियों से अधिक हो जाती है. हालांकि उमरा एक नफ्ली इबादत है, जबकि हज साहिबे हैसियत पर फर्ज है.
सुविधाएं कम मिलने की शिकायत:इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रवक्ता सुफियान निजामी ने हज कमेटी ऑफ इंडिया की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हज यात्रियों को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण भी आवेदन कम हो रहे हैं. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आवेदन की तारीख काफी पहले समाप्त कर दी गई, जिससे कई इच्छुक लोग आवेदन नहीं कर सके. प्रचार-प्रसार की कमी और धार्मिक गुरुओं से संवाद का अभाव भी एक अन्य कारण बताया गया है.
खाड़ी देशों के हालात:उत्तर प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा ने भी आवेदन कम होने के पीछे कई कारण गिनाए. कहा कि खाड़ी देशों में युद्ध जैसी स्थिति के चलते लोग डरे हुए हैं, हालांकि हज यात्रा से संबंधित क्षेत्रों में ऐसी कोई स्थिति नहीं है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष द्वारा हज को लेकर फैलाई गई भ्रांतियां लोगों के मन में डर पैदा कर रही हैं. यह भी कहा कि आवेदन की तारीख जल्दी खत्म हो जाने की वजह से भी लोग समय पर आवेदन नहीं कर पाए. रज़ा ने कहा है की हम केंद्र के अल्पसंख्यक मंत्रालय से से पत्र लिखकर मांग करेंगे कि हज के इच्छुक यात्रियों को आवेदन के लिए एक और मौका दिया जाए.
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