वाराणसी :वाराणसी स्थित ज्ञानवापी की एएसआई रिपोर्ट सामने आ चुकी है. इस रिपोर्ट के आने के बाद हिन्दू पक्ष जहां खुशी जाहिर कर रहा है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने नाराजगी जाहिर की है. रिपोर्ट में हिन्दू मंदिर के होने के साक्ष्य मिले हैं. जिसके बाद अब वजूखाने में मौजूद कथित शिवलिंग की भी एएसआई जांच कराए जाने की मांग की जा रही है. ऐसे में इस रिपोर्ट के आने के बाद कई बातें निकलकर आ रही हैं. इन तथ्यों के पुरातात्विक इतिहासकार क्या कहते हैं और पुरातात्विक फैक्ट क्या कहते हैं? इसे भी जानना जरूरी है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरातात्विक विभाग के प्रोफेसर एके सिंह से बातचीत की.
वाराणसी में मंदिरों और शिवलिंग का इतिहास काफी पुरानाःप्रो. एके सिंह ने बताया कि अगर पत्थर के हिसाब से बात करें तो वह 8वीं शताब्दी का शिवलिंग हो सकता है. दूसरी ओर बनारस में मंदिरों और शिवलिंग का इतिहास काफी पुराना है. बनारस में लगभग 2300 साल पुराने मंदिरों का इतिहास मिलता है. यहां 2000 साल पुराने शिवलिंग और शिवमंदिर होने के साक्ष्य मिलते हैं. ऐसे में ज्ञानवापी को लेकर रिपोर्ट भी स्पष्ट कर रहे हैं कि वहां पर एक भव्य मंदिर था.
600 ईसवी के आसपास था भव्य मंदिरःप्रो. सिंह ने कहा कि एएसआई ने बहुत ही जल्दी अपनी रिपोर्ट दे दी है. एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद यह पता चल रहा है कि उस स्थान पर एक भव्य मंदिर था. जहां पर मस्जिद का निर्माण किया गया है. इसका उल्लेख साहित्य में भी है. साक्ष्य के रूप में सर्वे की एक सीमा है. लेकिन सर्वे में जो चीजें मिली हैं, उसमें 32 अभिलेख भी हैं. जिनमें मिट्टी के बर्तन, मूर्तियां, सिक्के और कुछ अवशेष हैं. अगर उनको नक्शे में देखा जाए तो यह पता चलता है कि पुरातन काल से संबंधित हैं. लगभग 600 ईसवी के आसपास और उसके बाद वहां एक भव्य मंदिर का स्वरूप रहा है, जो प्रारंभिक मध्यकाल से संबंधित है.
खुदाई में मिले शिवलिंग और मंदिर के अवशेषःप्रोफेसर एके सिंह बताते हैं कि मूर्तियां, खंभे बाकी आर्किटेक्चर इस बात की स्पष्ट गवाही दे रहे हैं कि वहां एक बहुत ही भव्य मंदिर रहा होगा. उसके पहले की क्या स्थिति तो इसके बारे में अभी जांच बाकी है. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओमकार नाथ सिंह के निर्देशन में बभनियांव का जब सर्वेक्षण शुरू किया गया तो 2020 से 2022 तक वह कार्य किया गया था. बहुत ही कठिन कार्य था. उस समय कोरोना महामारी फैली हुई थी. शिवजी की कृपा थी कि हम लोग उस काम को करने में सक्षम हुए. वहां पर हमें शिव मंदिर और शिवलिंग के अवशेष मिले जो, ईसवी सन के प्रारंभ से संबंधित हैं. लगभग 2000 साल पुराना शिवलिंग, जो काशी की सबसे प्राचीन शिवलिंग और शिवमंदिर है, जिसका प्रमाण इतिहास में मिलता है.