ग्वालियर: भारत में निजी गाड़ियों पर हूटर और बत्ती लगाना प्रतिबंधित है. वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिहाज से यह कदम उठाया गया था, लेकिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मानों अधिकारियों और माननीयों के समर्थकों को इस नियम की कोई परवाह ही नहीं है. यहां रोज इस नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जहां नेताओं के समर्थकों की गाड़ियों पर हूटर सलामी दे रहे हैं. तो वहीं, कई पुलिस अफसर भी रुतबा दिखाने के लिए निजी वाहनों पर लाल-नीली बत्तियां लगाकर फर्राटे भर रहे हैं.
नेताओं के समर्थक और अधिकारी हूटर, बत्ती लगा भर रहे फर्राटे
ग्वालियर में नेताओं के तमाम समर्थक ऐसे हैं जो आज भी अपनी गाड़ियों में हूटर लगाए हुए हैं. वे पुलिस के सामने से फर्राटे भरते हुए हुए निकल जाते हैं और पुलिस इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाती. शहर में यातायात चेकिंग तो लगाई जाती है, लेकिन फिर भी इसपर कोई लगाम नहीं लग रही है. पुलिस विभाग के शासकीय वाहनों में नीली बत्ती लगाए जाने की छूट है, लेकिन थाना प्रभारी से लेकर एएसआई तक कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो अपने निजी वाहनों पर विदेशी पुलिस की तर्ज पर लाल और नीली बत्ती का कॉम्बिनेशन लगवा कर घूम रहे हैं.
'किसी भी नियम का पालन पूरी कड़ाई से होना चाहिए'
हूटर और बत्ती के रुतबे को लेकरबीजेपी के पूर्व सांसद विवेक कुमार शेजवलकर कहते हैं, " किसी भी नियम का पालन पूरी कड़ाई से होना चाहिए. इसकी जिम्मेदारी जिला और पुलिस प्रशासन पर होती है. अगर इस तरह की कोई बात सामने आ रही है, तो भले ही हूटर लगाने वाला सत्ता पक्ष का नेता हो, समर्थक या किसी दूसरे दल से हो, पुलिस को पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करनी चाहिए."