ग्वालियर। ग्वालियर शहर के छोर पर स्थित जनक ताल आज वीरान हो गया है. अब यहां हर तरफ सन्नाटा पसरा रहता है. एक्का दुक्का लोगों के सिवा कोई यहां झांकने तक नहीं आता, लेकिन असल में इस जगह का इतिहास अपने आप में बहुत खूबसूरत है. क्योंकि यहां सिंधिया राज घराने के महाराजा होली खेलने आते थे. जी हां कभी यह जगह रंग-बिरंगे रंगों से गुलजार हुआ करता था. पढ़िए राजघराने की होली के बारे में...
सिंधिया राज घाराने का होली स्पॉट
पुरातत्व विभाग से रिटायर्ड और इतिहासकार लाल बहादुर सिंह सोमवंशी कहते हैं कि 'ग्वालियर एक ऐतिहासिक शहर है. जो कई विरासतों को समेटे हुए है. यहां पर्यटन की दृष्टि से भी इसका बड़ा महत्व है. यहां सिंधिया राजघराने का वर्चस्व रहा है. सिंधिया राजा महाराजों को बहुत शौक हुआ करता था परिवार के साथ जाकर कहीं त्योहार उत्सव मनाए.
बेहद सुंदर है जनक ताल की बनावट
ग्वालियर स्टेट के दौरान इस जनक ताल का निर्माण 200 वर्ष पूर्व जनकोजी राव सिंधिया ने कराया था. उन्हीं के नाम पर इसका नाम जनकताल पड़ा. इस ताल की बनावट भी बहुत सुंदर है. यहां पांच बारह दरियां हैं. जनक ताल के अंदर बारह दरी बनी हुई है. एक सीढ़ी बनी है. जिससे जनक ताल में उतरा जा सकता है.
पांच दिनों तक चलता था होली का उत्सव
स्थानीय इतिहासकार कहते है कि यहां होली खेलने के लिए जनकोजी राव सिंधिया आया करते थे. सिंधिया राज घराना यहां पांच दिनों तक रुका करता था. इस उत्सव में स्थानीय जागीरदार, राजा महाराजा सभी यहां रुकते थे. ये बताया जाता था कि बेलगाड़ियों से रंग और गुलाल और सभी सामान वहां ढोकर ले जाया जाता था. बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती थी. उस होली का बड़ा ही विहंगम दृश्य होता था.