ग्वालियर: बारिश के दौरान प्रशासन की नजर जर्जर हो चुके निजी इमारतों पर तो होती है, लेकिन सरकारी भवनों की अनदेखी कोई नई बात नहीं है. वर्षों तमाम सरकारी बिल्डिंग और ऐसे ही परिसर हादसों की राह ताक रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार हैं कि आंखें बंद किए बैठे हैं. ग्वालियर में हुए एक हादसे ने शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर दिये हैं, क्योंकि यहां एक सरकारी स्कूल बिल्डिंग की छत भरभरा कर गिर पड़ी.
अनदेखी का नतीजा ढह गई स्कूल की छत
ग्वालियर के चकरामपुरा में शासकीय प्राथमिक स्कूल की छत बारिश की वजह से ढह गई. इस स्कूल में 19 बच्चे पढ़ते हैं और दो शिक्षक पदस्थ हैं, लेकिन साल दर साल खस्ता हाल होती बिल्डिंग पर ना तो शिक्षकों ने और ना ही यहां निरीक्षण करने वाले अधिकारियों ने ध्यान दिया, नतीजा जान के खतरे के बावजूद इस स्कूल में कक्षाओं संचालित होती रहीं, लेकिन जब गुरुवार को विद्यालय भवन की छत अचानक नीचे आ गई तो सभी जिम्मेदारों के हाथ पांव फूल गए.
15 मिनट पहले ही निकले थे बच्चे
बताया जा रहा है कि इस हादसे से ठीक 15 मिनट पहले ही बच्चे और शिक्षक स्कूल से रवाना हुए थे. गनीमत रही कि हादसे के समय कोई भी स्कूल परिसर में मौजूद नहीं था, नहीं तो हादसा किसी बड़ी दुर्घटना में तब्दील हो सकता था. इस घटना को लेकर जबजिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार से बात की गई तो उनका कहना था कि, 'हादसे के बाद किए सर्वे के हिसाब से ना तो ये छत बारिश की वजह से गिरी और ना ही कोई दूरी समस्या समझ आयी, हालांकि उनका मानना है कि शायद यह स्कूल भवन दशकों पुराना था, इसलिए क्लास की छत गिर गई.'
पुराना भवन होने से हुआ हादसा
जिला शिक्षा अधिकारी की माने तो नया सत्र शुरू होने से पहले ही आला अधिकारियों और स्कूल शिक्षा मंत्री के द्वारा भी स्पष्ट निर्देश दिये गये थे और कई बैठकों और वीडियो कॉन्फ़्रेन्सिंग के द्वारा भी सभी बीईओ और केंद्र अध्यक्षों को निर्देशित किया जा चुका था कि हर साल एक दो घटनाएं इस तरह की देखने को मिलती हैं, इसलिए कोई भी क्लास किसी जर्जर भवन में नहीं लगायी जायेगी. इसकी अपेक्षा कक्षा का संचालन सुरक्षित सामुदायिक भवन या ऐसे ही किसी अन्य परिसर में संचालित करायी जायें. इस संबंध में पहले ही सभी को अवगत भी करा दिया गया था.