ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आए दिन नए-नए फर्ज़ीवाड़ों के खुलासे होते रहते हैं. कभी नर्सिंग घोटाला सामने आता है तो कहीं पटवारी घोटाला. कभी व्यापम तो कभी नगर निगम के घोटालों ने सुर्खियां बटोरीं, लेकिन ग्वालियर में 84 करोड़ के पीएचई घोटाले ने सबका ध्यान खींचा है क्योंकि यहां एक-दो नहीं बल्कि जिला कलेक्टर ने मामले में 74 लोगों पर और FIR कराने के आदेश दिए हैं.
5 सालों से इस तरह किया जा रहा था घोटाला
भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के तमाम दावे खुद सरकारी सिस्टम के आगे ही फेल हो जाते हैं. ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले 5 सालों से ग्वालियर के PHE विभाग में घोटाले का सिलसिला जारी था. असल में विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने मिलकर रिटायर हो चुके और मृतक कर्मचारियों के खातों में फर्जीवाड़ा कर इस बड़ी रकम को ट्रांसफर किया था. साथ ही कई फर्मों में फर्जी बिलों के माध्यम से भी भुगतान कराए गए थे. जिसकी शिकायत पीएचई विभाग के अधिकारी संजय सोलंकी ने की थी. ट्रेजरी विभाग की ऑडिट के बाद मामला खुलकर सामने आ गया. पता चला की करीब 81 अलग-अलग खातों में यह पैसा ट्रांसफर किया गया था.
फरियादी समेत 9 पर दर्ज थी FIR
पीएचई विभाग का यह घोटाला सामने आने के बाद इस मामले में जांच बैठाई गई और 2 लोगों पर नामजद और 7 अज्ञात लोगों के खिलाफ ग्वालियर क्राइम ब्रांच में FIR दर्ज की गई थी. जिसमें घोटाले का मास्टरमाइंड हीरालाल और इस मामले की शिकायत करने वाले फरियादी संजय सोलंकी का नाम भी शामिल था. दोनों के खातों में ही फर्जीवाड़े का पैसा ट्रांसफर किया गया था, लेकिन जब मामले की जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि 84 करोड़ की राशि गबन करने में ये 9 लोग ही नहीं बल्कि करीब 74 और लोग शामिल हैं. जिनमें 6 अधिकारी कर्मचारी पीएचई के भी शामिल हैं. इन सभी खातों को ट्रेजरी से ब्लॉक कराया गया और जांच आगे बढ़ाई गई.
कलेक्टर ने दिये कार्रवाई के निर्देश