ग्वालियर।अगर आपके पास पुलिस का कॉल आये और आपको बताया जाए कि आपके ऊपार तमाम FIR दर्ज हुई हैं तो क्या होगा. आपका दिमाग़ चकरायेगा, आप परेशान हो जाएंगे. इस झमेले से निकलने के लिए आप कुछ भी करने को तैयार होंगे, लेकिन हो सकता है कि आप सायबर ठगी के शिकार होने जा रहे हों. ऐसा ही कुछ हुआ है ग्वालियर में रहने वाली रिटायर्ड महिला प्रोफेसर आशा भटनागर के साथ. वह ग्वालियर के सीपी कॉलोनी में रहती हैं. 72 वर्षीय आशा भटनागर का बेटा अमेरिका में और बेटी दामाद के साथ पुणे में रहती है. आशा भटनागर ग्वालियर में अकेली रहती हैं.
मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस का नाम लेकर जालसाजों ने फंसाया
पीड़ित आशा भटनागर ने बताया उन्हें 14 मार्च को उन्हें एक कॉल आया. बताया गया कि ये कॉल मुंबई क्राइम ब्रांच की ओर से है. उनके ऊपर ह्रासमेंट और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हैं. उन्हें दो घंटे के अंदर बचने के लिए ई-एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दी गई. अन्यथा सीबीआई द्वारा उन्हें दो घंटे में गिरफ़्तार किए जाने की बात बतायी गई. जब उन्होंने ई-एफआईआर करना ना आने के बारे में बताया तो फ़ोन पर मौजूद व्यक्ति ने उन्हें वीडियो कॉल ऐप स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा, जिसके लिये पीड़िता ने एक बच्चे की मदद ली.
ठगों ने बातों में उलझाकर ले ली सारी जानकारी
स्काइप शुरू होने के बाद उन्हें एक वीडियो कॉल आया जिसमें सुप्रिया पाटिल नाम की महिला ने बात की. जिसने बातों बातों में उनके परिवार, शिक्षा, पेशे और अकाउंट तक के बारे में पूरी जानकारी ले ली. पीड़ित आशा भटनागर कहती हैं कि "उस समय मेरा दिमाग पता नहीं कैसा हो गया था कि मैं उसे सब कुछ बताती चली गई. सुप्रिया पाटिल ने कहा कि आप मुझे इनोसेंट लग रही है मैं सुपीरियर से बात करती हूं अगर वहां आपने अपने आपको साबित कर दिया तो आपके केस की इंटेंसिटी कम जो जायेगी. "
छह घंटे तक चला कॉल, फंसाने के लिए नकली अरेस्ट वॉरंट भेजा
आशा भटनागर ने बताया " बातचीत के दौरान एक सेकेंड के लिए पुलिस की वर्दी में कोई दिखायी दिया, जिसे वीडियो कॉल कर रही महिला ने बताया कि ये मनी लाउंड्रिंग केस वाली हैं. इस पर वह आदमी तुरंत अरेस्ट करने की बात कहते हुए भड़कने लगा. इसके बाद क़रीब सवा छह घंटे तक वह उनके साथ कॉल पर रहा और वो जो कहता गया वह (आशा भटनागर) करती गयीं. क्योंकि उन्हें यक़ीन दिलाने के लिए बाक़ायदा उन्हें अरेट वॉरंट से लेकर तमाम नकली दस्तावेज भेजे गये थे."
दो दिन में ट्रांसफ़र कराये 51 लाख रुपए
आशा भटनागर ने केस से बाहर आने के लिए 14 मार्च को 46 लाख रुपए आरटीजीएस किए. इसके बाद 15 मार्च को 5 लाख रुपए ट्रांसफ़र कराये. जब बैंक से वेरिफिकेशन कॉल आया और उनसे बार-बार पूछा गया कि इतना पैसा क्यों निकाल रही हैं. इस पर डरी हुई आशा ने जरूरत का हवाला देते हुए बात को ताल दिया और सारा पैसा ठगों के बताये अकाउंट में ट्रांसफ़र करा दिये.