इंदौर: आजकल पूरे देश में प्रयागराज महाकुंभ की ही चर्चा है. संगम में पवित्र स्नान के लिए लाखों लोग महाकुंभ में पहुंच रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे अनूठे श्रद्धालु भी हैं, जो पैदल या फिर साइकिल पर सवार होकर महाकुंभ में पहुंच रहे हैं. गुजरात के दो ऐसे ही भक्त हैं योगेश कुमार और भारत भाई, जो बड़ौदा से साइकिल पर सवार होकर प्रयागराज, मथुरा, अयोध्या, काशी आदि की यात्रा पर निकले हैं.
कोई साधन नहीं मिला तो साइकिल से सफर करने की ठानी
बड़ौदा जिले के छोटे से गांव में रहने वाले योगेश भाई और भारत भाई महाकुंभ में धूनी रमाने वाले धर्मनाथ महादेव और अर्जुन नाथ महादेव के शिष्य हैं. दरअसल, अब जबकि महाकुंभ को संपन्न होने में करीब 20 दिन बचे हैं तो लाखों लोगों के साथ उनकी भी कोशिश है कि किसी भी तरह से महाकुंभ में पवित्र स्नान कर लें. जब कोई व्यवस्थित साधन नहीं मिला तो दोनों साधु ने साइकिल पर ही यात्रा पर निकल पड़े. पिछले सप्ताह बड़ौदा से साइकिल से रवाना हुए, जो सप्ताह भर की यात्रा के बाद मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचे हैं.
प्रतिदिन 70 से 80 किलोमीटर का सफर साइकिल से
दोनों युवा संत रोजाना 70 से 80 किमी की दूरी साइकिल से पूरी कर रहे हैं. इस दौरान जहां भी रुकना होता है, दोनों जय गिरधारी जय सियाराम के जयघोष के साथ वहीं ठहर जाते हैं. यही स्थिति रात्रि विश्राम को लेकर है. जब उनका 70 से 80 किलोमीटर का सफर पूरा हो जाता है तो वह कहीं किसी मंदिर या आश्रम में रात्रि विश्राम करते हैं. इस दौरान मध्य प्रदेश में तमाम श्रद्धालुओं और स्थानीय लोग इन युवा संतों की हर तरह मदद करते हैं. अपनी इस अनूठी यात्रा के दौरान योगेश भाई बताते हैं "वह युवा संत हैं, जो प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करके महापर्व के साक्षी बनना चाहते हैं."
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प्रयागराज के बाद अयोध्या व काशी भी जाएंगे
युवा संत योगेश भाई बताते हैं "इस दौरान उनके पास जरूरी कपड़े एवं समान है." उनकी साइकिल भी बाकायदा प्रयागराज महाकुंभ की थीम पर ही सजी हुई है. भगवा वस्त्र और भगवान ध्वज के साथ जब योगेश भाई और भारत भाई दोनों साइकिल से गुजरते हैं तो सहसा ही लोग उन्हें देखकर उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं. भारत भाई बताते हैं "गुजरात के बाद मध्य प्रदेश में जहां-जहां भी रुके तो लोगों ने बहुत मदद की. प्रयागराज में स्नान के बाद अयोध्या, मथुरा काशी की यात्रा भी साइकिल से करेंगे, तभी उनकी यात्रा पूर्ण होगी." प्रयागराज से दोनों ने साइकिल से ही बड़ौदा लौटने का फैसला भी किया है.