रायसेन: मध्य प्रदेश के रातापानी टाइगर रिजर्व में एशियाई वुल्फ कहे जाने वाले भेड़ियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है. जिन्हें पर्यटकों ने अपने कैमरे में शिकार को खाते हुए कैद किया है. इसके बाद रातापानी टाइगर रिजर्व में टाइगर के साथ एशियाई वुल्फ की प्रजाति को बढ़ाने की संभावनाओं के कयास लगाए जा रहे हैं.
रातापानी टाइगर रिजर्व में दिखेंगे वुल्फ
अक्सर आपने भेड़ियों से जुड़े कई किस्से और कहानियों को सुना होगा. स्वभाव से शर्मीले और तेज तर्रार कहे जाने वाले इन एशियाई वुल्फ को आपने कम ही देखा होगा, पर अब मध्य प्रदेश के नए टाइगर रिजर्व रातापानी में इन एशियाई वुल्फ को देखना आपके लिए काफी रोमांचकारी और सहज हो जाएगा, क्योंकि रतापानी टाइगर रिजर्व में भेड़ियों के एक झुंड ने दस्तक दे दी है. इस झुंड ने पहले तो एक वन पशु का शिकार किया. बाद में उसे खींचते हुए का दृश्य पर्यटकों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया.
भेड़िए ने किया शिकार
इस संबंध में हमें अधिक जानकारी देते हुए रातापानी टाइगर रिजर्व के अधीक्षक सुनील भारद्वाज ने बताया कि "जंगल सफारी के दौरान गुजर रहे कुछ टूरिस्ट और वन विभाग के कर्मचारियों ने एशियाई वुल्फ को रातापानी टाइगर रिजर्व में देखा और अपने कैमरे में कैद किया. यह जानवर अपने शिकार को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं, शिकार को पकड़ने के लिए यह 60 से 70 किलोमीटर तक का सफर बिना रुके कर लेते हैं. यह अक्सर अपने परिवार के साथ ही होते हैं.
भेड़ियों को क्यों कहते हैं घोस्ट ऑफ ग्रासलैंड
भूरे रंग के दिखने वाले भेड़िये भारत में करीब 3,000 ही बचे हैं. घनी घास में छुपने में माहिर इन भेड़ियों को घोस्ट ऑफ ग्रासलैंड कहा जाता है. जंगलों में यह 13 साल तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन अधिकांश भेड़िये इस उम्र से बहुत पहले ही मर जाते हैं. भारतीय भेड़िये चूहे के साथ खरगोश, कृंतक (गर्म रक्त वाले स्तनधारी जीव होते हैं जिनके आगे के दांत काटने के लिए बड़े होते हैं) और पक्षियों जैसे छोटे जानवरों का शिकार करने में माहिर होते हैं.
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60-70 किमी की रफ्तार से पकड़ लेते हैं शिकार
अपने शावकों को जीवित रखने के लिये ये उन्हें हर दिन खाना खिलाते हैं. इनका पैर बड़ा और लचीला होता है. जो उसे हर परिस्थितियों में चलने की सुविधा प्रदान करता है. भारतीय भेड़ियों की नाक बड़ी संवेदनशील होती है. अपने शिकार को 2 किलोमीटर दूर से ही सूंघ लेते हैं और शिकार का पीछा करते हुए यह 70 किलोमीटर तक की रफ्तार पकड़ लेते हैं.