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गजब हो गया! एसपी की नाक के नीचे 71 लाख का घोटाला, ट्रेजरी अफसर ने पकड़ी गड़बड़ी - ग्वालियर एसपी कार्यालय में घोटाला

Gwalior Constable Rs 71 Lakh Scam: एमपी के ग्वालियर में एसपी ऑफिस से बड़े घोटाले की खबर सामने आई है. यहां एसपी की नाक के नीचे एक आरक्षक ने करीब 71 लाख रुपए का घोटाला किया. मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई.

gwalior constable Rs 71 lakh scam
एसपी की नाक के नीचे 71 लाख का घोटाला

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 7, 2024, 5:17 PM IST

Updated : Feb 7, 2024, 6:57 PM IST

एसपी की नाक के नीचे 71 लाख का घोटाला

ग्वालियर।जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में 5 साल के बिलों की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. यहां 71 लाख रुपए की गड़बड़ी सामने आई है. जांच में पता लगा है कि यहां पदस्थ सिपाही ने 17 लाख रुपए अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर किए थे. कोष एवं लेखा ने सिस्टम की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के बाद पुलिस अधीक्षक दफ्तर में यह गड़बड़ी पकड़ ली है. इस मामले में प्रथम दृष्टया क्लर्क को दोषी माना गया है. मामले की जांच शुरू हो चुकी है.

सिपाही ने पत्नी के अकाउंट में ट्रांसफर किए 17 लाख

एसएसपी दफ्तर के वर्ष 2018 से जुलाई 2023 के बीच के बिल भुगतान की जांच ट्रेजरी मुख्यालय ने की. इसी आधार पर पाया गया कि यहां पर 77 खातों में 71 लाख रुपए का संदिग्ध भुगतान हुआ है. इस मामले में बिल क्लर्क (सिपाही) अरविंद सिंह भदौरिया का नाम सामने आया है. रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि बिल क्लर्क ने 17 लाख रुपए का भुगतान पत्नी नीतू के एसबीआई में ऑपरेट होने वाले खाते में ट्रांसफर किए हैं. मामले की सूचना वरिष्ठ पुलिस अफसरों को दे दी गई है.

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जांच कमेटी की गठित

मुख्यालय ने इस मामले में जांच टीम भी गठित कर दी है. इसका नेतृत्व संयुक्त संचालक कोष द्वारा किया जा रहा है. टीम में चार सदस्य रखे गए हैं. इनमें उपसंचालक अर्चना त्रिपाठी, विवेक सक्सेना नरेंद्र सिंह भी शामिल किए गए हैं. जांच में राशि कम ज्यादा भी हो सकती है. पुलिस अधीक्षक कार्यालय से पुराने बिलों की डिटेल्स मांगी गई है. कोष एवं लेखा अधिकारियों के मुताबिक पुलिस अधीक्षक कार्यालय में यह गड़बड़ी 2018 से लेकर जुलाई 2023 के बीच में की गई है. इससे पहले पीएचई में भी 81 करोड़ रुपए का संदिग्ध भुगतान पकड़ा जा चुका है. इस मामले में कई आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. उक्त गड़बड़ी की जांच अभी काफी धीमी है, क्योंकि विभाग से भुगतान संबंधी दस्तावेज नहीं मिल पा रहे हैं. जांच टीम को वर्ष 2011 से 2018 तक के दस्तावेज की जरूरत है.

Last Updated : Feb 7, 2024, 6:57 PM IST

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