जबलपुर।सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार उपस्थित हुए. युगलपीठ ने आयोग के अध्यक्ष पद पर अब तक नियुक्ति नहीं किए जाने पर राज्य सरकार से जवाब मांगा. युगलपीठ ने इस मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग को अनावेदक बनाते हुए निर्देशित किया था कि ऐसे कितने मामलों में संज्ञान लिया गया.
ग्वालियर में चैम्बर हादसे में दो श्रमिकों की मौत का मामला
गौरतलब है कि ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत हो गई थी. इस मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह दिल दहलाने वाली घटना है. बचाव के प्रयास के बावजूद मदद पहुंचने से पहले श्रमिकों की मौत हो गयी. इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं.
सरकार को करना था कमेटियों का गठन
गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता आकाश चौधरी की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत सरकार को विभिन्न कमेटियों का गठन करना था. एक्ट के परिपालन के लिए कमेटियों की समय-समय पर बैठक आयोजित होनी थी.