रांची:झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस को धूमधाम से मनाया जाता है. 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के लिए रांची के बिरसा मुंडा संग्रहालय परिसर में भव्य आयोजन की तैयारी हुई है. इससे पहले रांची विश्वविद्यालय के स्तर पर रांची वीमेंस कॉलेज के सहयोग से आज संयुक्त राष्ट्र संघ के थीम 'Protecting the Rights of Indigenous Peoples in Voluntary Isolation and Initial Contact’ पर "जोहार संगी-24" का आयोजन किया गया.
बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल झारखंड के राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष गंगवार ने आदिवासियों की कला-संस्कृति, रीति रिवाज का जिक्र करते हुए कहा कि समाज के युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए तत्परता दिखानी होगी. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने विषम परिस्थितियों में उच्च शिक्षा हासिल की थी. उन्होंने अपने गांव का नाम रौशन किया था.
राज्यपाल ने कहा कि 31 जुलाई को पदभार ग्रहण करने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि झारखंड अपार संभावनाओं वाला प्रदेश है. यह वीरों की भूमि है. धरती आबा बिरसा मुंडा, बीर बुधु भगत, सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, जतरा उरांव जैसे महान सपूतों ने अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया.
महान सपूतों के प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड राज्य की 3.28 करोड़ से अधिक की आबादी में, जनजातियों की संख्या लगभग 27 प्रतिशत है. राज्य में 32 प्रकार की अनुसूचित जनजातियां हैं, जिनमें 8 प्रकार की PVTGs भी शामिल हैं. इनके पास अलग अलग तरह की विधा है. औषधि की अच्छी जानकारी है. इस दौरान राज्यपाल को पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. छऊ नृत्य समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए. राज्यपाल ने छात्राओं द्वारा तैयार पारंपरिक व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया.